लखनऊ:समाजवादी पार्टी में अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई है. सोमवार को मुलायम सिंह और शिवपाल के करीबी दो मंत्रियों को कैबिनेट से बाहर करने के बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चीफ सेक्रेटरी दीपक सिंघल की भी छुट्टी कर दी. जबकि इस उठा-पटक में शाम ढलते-ढलते अखिलेश यादव को यूपी प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया.
मुलायम ने उनकी जगह शिवपाल यादव को यूपी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है. जबकि पलटवार करते हुए सीएम ने देर शाम शिवपाल को तीन मंत्रालयों से बाहर का रास्ता दिखा दिया. जाहिर तौर यूपी चुनाव से ठीक पहले सत्तासीन पार्टी के अंदर यह घमासान चुनावी गणित पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, लेकिन एक बात साफ है कि सपा में अब यह दिखाने की कवायद शुरू हो गई है कि आखिर असली बॅास कौन है. क्योंकि चीफ सेक्रेटरी सिंघल, खनन मंत्री पद से हटाए गए गायत्री प्रजापति और पंचायती राज मंत्री पद से बर्खास्त किए गए राजकिशोर सिंह शिवपाल के करीबी माने जाते हैं.
सीएम को सरकार की छवि की चिंता
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि असल में यह पूरी लड़ाई इमेज की है. अखिलेश बतौर सूबे के मुखिया अपनी सरकार की छवि को लेकर अचानक से बेहद संजीदा हो गए हैं. यही कारण है कि चुनाव से पूर्व वह भ्रष्ट और दागदार चेहरों पर नकेल कसने की तैयारी में हैं. लेकिन जब कभी पार्टी की राजनीति उनके निर्णयों पर हावी होती दिखती है, अंदरूनी घमासान बाहर दिखने लगता है.
हमेशा विवादों में रहने वाले IAS ऑफिसर दीपक सिंघल को दो महीने पहले ही चीफ सेक्रेटरी बनाया गया था. यह बात जगजाहिर है कि अखिलेश यादव दीपक सिंघल को पसंद नहीं करते थे और उन्हें मुख्य सचिव बनाए जाने के खिलाफ थे. लेकिन मुलायम सिंह यादव के दबाव में उन्हें दीपक सिंघल को मुख्य सचिव बनाना पड़ा था.