लखनऊ: इमरान प्रतापगढ़ी ने उत्तर प्रदेश के मुख़्य मंत्री अखिलेश यादव को एक खुला खत लिखा है, जो यह है:
प्रिय अखिलेश जी…….।
आ गये ना अपने फ़ासिस्ट सलाहकारों के झॉंसे में…?
डी.पी. यादव, रामपाल यादव, अतीक़ अहमद, मुख़्तार अंसारी
इन तमाम अपराधियों को आप अपने नज़दीक नहीं आने देना चाहते !
चलिये मान लिया साहब….!
अच्छी बात है !
लेकिन भाई साहब
वो जो आपके बेहद क़रीब, पार्टी में, अापकी कैबिनेट में कुछ अपराधी बैठे हैं……उन पर चुप्पी क्यूं !
गिनती दर्जनों में है !
अतीक़, मुख़्तार, डी. पी. से दूरी बनाने वाला ये युवा तेवर उस वक्त क्यूं मजबूर दिखता है जब उसे सपरिवार विधान परिषद का वोट मॉंगने ग़ुन्डों के पास ही जाना पडता है !
मुख्तार पर आपका ग़ुस्सा देखा हम सबने
लेकिन भाई साहब आपका ये ग़ुस्सा उस वक्त कहॉं ग़ायब हो जाता है
जब एक दो टके का दंगाई विधायक विधिवत आपको चुनौती देकर अपने हज़ारों हरियार बंद ग़ुन्डों के साथ कैराना कूच करके दंगों के लिये ज़मीन तैयार करता है !
आप उस वक्त नाराज़ क्यूं नहीं नज़र आते जब प्राची और योगी आदित्यनाथ अापको ललकार कर कहते हैं कि दम है तो हम पर कार्यवाही करके दिखाओ !
अपनी पूरी ताक़त लगाकर रामपाल यादव को नेस्तनाबूद कर देने वाला ये युवा तेवर
अापके चाचा को चिढाकर भाजपा को वोट देने वाले ग़ुन्डे विधायक गुड्डू पंडित के आगे लाचार क्यूं हो जाता है !
रामपाल को तो आप सडक पर पिटवाते हैं लेकिन गुड्डू पंडित के घर एक सिपाही तक नहीं भेज पाते
इसे क्या समझा जाये भाई साहब
कि आपकी नज़र में सिर्फ यादव और मुस्लिम ग़ुन्डे ही अपराधी हैं………..?
बाकी सब दूध के धुले हैं !
नीतीश कुमार ने भी आप जैसा ही काम किया था, छवि भी सुशासन वाली थी, लेकिन वो जानते थे कि सामाजिक न्याय की इस लडाई में फासिस्ट ताक़तों का मुकाबला सिर्फ विकास के नारों से नहीं किया जा सकता !
लालू से हाथ मिलाने पर बिकाऊ मीडिया ने कहा था कि नीतीश की लुटिया डूब जायेगी…।।।
लेकिन नीतीश मोरल दबाव में नहीं आये
परिणाम आपके सामने है
इस बार लडाई बहोत बडी है……. !
फासिस्ट और दंगाई ताक़तों ने कमर कस ली है
और आप मीडिया के उन मुनाफ़िकों से सलाह मशवरा करके फैसले ले रहे हैं, जो आपसे करोडों का विज्ञापन लेकर
लोहिया के ऑंगन में ग़ुन्डे और कैराना को कश्मीर बताने की साज़िशों में लगे हैं !
जागिये भाई साहब
इमरान प्रतापगढ़ी