जयपुर: अभिनेता इरफान खान आगामी फिल्म ‘मदारी’ के प्रचार के लिए अपने होम टाउन जयपुर में हैं. ‘मदारी’ के प्रमोशनल इवेंट में ईद-उल-जुहा को लेकर इरफान खान ने विवादित बयान दिया है. उन्होंने कहा, “कुर्बानी का मतलब अपनी कोई अजीज चीज कुर्बान करना होता है। ये नहीं कि बाजार से आप कोई दो बकरे खरीद लाए और उनको कुर्बान कर दिया।”
इरफान इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा, “आपको उन बकरों से कोई लेना-देना नहीं है तो वो कुर्बानी कहां से हुई? इससे कौन-सी दुआ कुबूल होती है? हर आदमी अपने दिल से पूछे कि किसी और की जान लेने से उसको कैसे पुण्य मिल जाएगा?” बुधवार को इरफान ने यह भी कहा, “हमारे जो भी त्योहार हैं, उनका मतलब हमें वापस से समझना चाहिए कि वे किसलिए बनाए गए हैं। सौभाग्य है कि एेसे देश में रह रहा हूं जहां हर धर्म का सम्मान होता है।”
सलमान और दूसरे सेलिब्रिटीज के दिए जाने वाले बयानों को लेकर इरफान ने कहा कि सेलिब्रिटी भी इंसान हैं। आप उसे महान आत्मा मत समझिए। उससे भी गलती हो सकती है। उन्हें सीरियसली नहीं लेना चाहिए। इरफान ने कहा- अपना हीरो उन्हें बनाएं जो बिना स्वार्थ के कुर्बानी देकर लोगों की मदद करे।
इरफान ने इवेंट में मंत्रियों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा- “जिस तरह मदारी डमरू बजाकर वादा करता था कि सांप और नेवले की लड़ाई दिखाएगा, लेकिन कभी दिखाता नहीं, ऐसे ही वादे मंत्री करते हैं, पर पूरा नहीं कर पाते।” इरफान ने कहा कि जो लोग इस्लाम को बदनाम करते हैं या आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हैं, उनके खिलाफ फतवा जारी होना चाहिए।
सेंसर बोर्ड को लेकर इरफान ने कहा, “टीवी और इंटरनेट पर हम कुछ भी देखते हैं। कोई रोकने वाला नहीं है। लेकिन सिनेमा पर सेंसर बोर्ड लगा दिया।” “इस ऑर्गनाइजेशन को सर्टिफिकेट देने का हक है। इसके रूल्स 1950 के बने हुए हैं। इन्हें रिवाइव करने की जरूरत है।” उन्होंने कहा, “रियल स्टोरी को फिल्म दिखना चाहें तो सेंसर बोर्ड का 1950 का दायरा ही रुकावट बन जाता है।”