50 दिन कर्फ़्यू, 75 हत्या, 16 लाख पैलेट गन का इस्तेमाल, 700 ने खोया अपनी आंखो को, ओरतें विधवा बच्चे यतीम हज़ारो लाचार, 50,000 पचास हज़ार लोग लापता, 11000 ग्यारह हज़ार मानसिक रोगी, 22000 वाइस हज़ार आत्महत्या. इन सब आकड़ो को देखकर लगता है जैसे यह कोई विश्वयुद्ध की रिपोर्ट है या दुनिया के किसी आतंकित मुल्क की या किसी सुपर पावर मुल्क ने हमला किया हो।
तो आप गलत सोच रहे है। यह विशाल देश की सुपर पावर सेना का नतीजा है। जिस देश के राष्ट्रपिता अहिंसा के पुजारी थे। जिस देश के राष्टीय ध्वज के रंग अमन शांति का प्रतीक है। कश्मीर में पिछले कई दिनों से किये गए अमानवीय कार्यवाही की एक झलक है, पिछले कई दिनों से हमारे भाई हमारे देश के भागीदार, बराबरी के हिस्सेदार, कश्मीरी नागरिक किन परिस्थिति का सामना कर रहे है।
सिर्फ अहसास ही हमें रात भार सोने नहीं देता। दूध पीते बच्चे के लिए दूध नहीं,खाने के लिए खाना, हीं,सब्जी,दाल,चावल, नहीं। बीमारों के लिए इलाज नहीं, दवा नहीं, पैलेट गन से आँखे गवाई, बदन छलनी हुआ उसके बाद हॉस्पिटल में इलाज कराने के लिए जगह नहीं। उसके बाद कश्मीर के हर इंसान को अलगाववादी और आतंकवादी समझ कर विना जिझक प्रहार करना। ऐसा क्यों हो रहा है? जब सारे हतखंडे ख़त्म हो जाते है तो कर्फ़्यू लगाकर लोगों को कमजोर कर दिया जाता है. वह भी सिर्फ दो चार दिन के लिए मगर कश्मीर में सरकार इतनी कमजोर हो गई है 60 दिन से कर्फ़्यू नहीं हटा प् रही है। इस पर सेना और सरकार जवाब देती है अलगाववाद है इसलिए भारी बल का प्रयोग किया जा रहा है। प्रशन यह उठता है की जब सारे अलगाववादी लीडर नज़रबंद है तो कौन है जो इन्हें कमांड कर रहा है। जवाब किसी के पास हो तो बताये ।
सच शायद कुछ और है, कश्मीरी नागरिकों को यह अहसास दिलाती है की तुम हमारे जीते हुए हिस्से के गुलाम हो। तुम्हारी सासों पर भी हमारा हक़ है। जब कश्मीर की जनता उत्तेजित हो जाती है तो वह प्रदर्शन करती है। फिर क्या होता है, नतीजा आप के और हमारे सामने है। कश्मीर को हमेशा से ही विजय सामग्री समझा गया इसलिए आज तक कश्मीर में कुल 1 लाख से ऊपर लोग मारे जा चुके है। सच यह यह है की कश्मीर में अलगाववाद है जिसे आतंकवाद बताया जाता है इसे दवाने के लिए एक कठोर कदम की जरुरत है मगर इसका मतलब यह नहीं है की मानव जीवन को दरकिनार कर दिया जाये। इसके साथ साथ यह भी सोचना पड़ेगा की आतंकवाद और अलगवावाद है क्यों?
पिछले 7 महीनो के एनकाउंटर में लगभग 80 आतंकवादी मारे जा चुके है। यह संख्या कोई सामान्य संख्या नहीं है फिर भी आतंकवाद और अलगाववाद ख़त्म क्यों नहीं हो रहा है? कश्मीर के हालात लगातार चिंताजनक होते जा रहे है देश के प्रधानमंत्री को बलूचिस्तान की आज़ादी की फिक्र सता रही है। जबकि देश की जन्नत नर्क वनी हुई है। देश के गृह मंत्री बैठक और प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे है। और कश्मीर की जनता जुल्म का शिकार हो रही है। अब भले ही देश की देश की सरकार अपनी नाकामी छुपा ले अब देखना यह ही की बलूचिस्तान का मसला सुलझाने वाली सरकार की कश्मीर का मसला कब तक सुलझा पति है।