नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आखिरकार यह स्पष्ट कर दिया कि एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर पदों पर ओबीसी को आरक्षण नहीं दिया जाएगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 3 जून, 2016 को देश के तमाम केंद्रीय विश्वविद्यालयों को एक नोटिस भेजा जिसमें लिखा है कि ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण सिर्फ एसिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर दिया जाएगा।
अकादमिक जगत में ओबीसी को एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर पदों पर आरक्षण के प्रावधान को लेकर अभी तक एक अनिश्चितता बनी हुई थी। उन्हें दलितों और आदिवासियों की तरह एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर पदों पर आरक्षण देने की लंबे समय से मांग हो रही थी। इस नोटिस के साथ केंद्र सरकार ने इस मांग को नकार दिया। यूजीसी ने यह नोटिस देश के 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों को भेजा है। इस पर तीखी प्रतिक्रिया होने की उम्मीद है। लंबे समय से तमाम जगहों इस बारे में दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापक तपस साहा ने बताया कि लंबे समय से यह मांग थी कि ओबीसी क्षेणी में भी तीनों स्तरों पर आरक्षण दिया जाए। इस मांग को केंद्र ने न मांगते हुए यूजीसी ने यह कदम उठाया है।
आरक्षण के मुद्दे पर लंबे समय से सक्रिय और इस नोटिस के सवाल को सबसे पहले उठाने वाले दिलीप मंडल ने आउटलुक को बताया कि इस नोटिस के जरिए केंद्र सरकार ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि वह ओबीसी को तीनों स्तरों पर आरक्षण नहीं देने जा रही है। यह आरक्षण विरोधी रुख है। पहले से ही आकादमिक क्षेत्र में ओबीसी का प्रतिनिधित्व बहुत कम हैं और अब इस नोटिस के बाद और कम हो जाएगा। कुछ केंद्रीय विश्वविद्यालय जहां ओबीसी को तीनों स्तरों पर आरक्षण मिल रहा था, अब वहां भी उनके लिए रास्ता बंद हो जाएगा। बड़े पैमाने पर ओबीसी के लिए आरक्षित पद अभी भी खाली है। दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से लेकर विश्वभारती, हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय से लेकर सम तक में ओबीसी के लिए आरक्षित शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं।