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खानदान-ए-आला हज़रत के मुफ़्ती-ए-किराम ने तौकीर रज़ा के देवबंद जाने को हराम करार दिया था, मौलाना तौकीर रज़ा की तौबा

बरेली: दैनिक जागरण की खबर के अनुसार मौलाना तौकीर रज़ा के बेव्बंद जाने के मामले को मुफ्ती-ए-कराम के पैनल ने हराम करार दिया है। पैनल का फतवा आने के बाद मौलाना तौकीर रजा खां ने देवबंद जाने से तौबा की लेकिन जब इस संबंध में उनसे फोन पर बात की गई तो मौलाना ने तौबा के सवाल पर कोई जवाब नहीं दिया।

नबीरे आला हजरत मौलाना तौकीर रजा खां के देवबंद जाने वाले मुद्दे को विराम दे दिया गया है। देवबंद जाने से नाराज़ हुए खानदान-ए-आला हज़रत के मुफ़्ती-ए-किराम ने देवबंद जाने को हराम करार दिया है जिस कारण मौलाना तौकीर रज़ा खान ने तौबा करते हुए अपने कदम वापस खींच लिए है.गौरतलब है की गत सप्ताह मौलाना तौकीर रज़ा ने दिल्ली से वापस आते समय आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार किये गए मुस्लिम युवकों के मसले को लेकर देवबंद का दौरा किया था. जिसके बाद से ही बरेली से तौकीर रज़ा के बायकाट की खबरें उड़ना शुरू हो गयी थी। वक़्त की नजाकत कहें या फिर खानदान से बायकाट का डर मामला चाहे जो भी हो लेकिन मौलाना तौकीर रज़ा ने अपने कदम वापस ले लिए हैं।

इस मुद्दे को लेकर अचानक से हरकत में आए बरेली के मुफ़्ती-ए-किराम ने तुरंत एक पैनल बनाकर इस पुरे मामले की सुनवाई की थी। सुबहानी मियां ने इस बात पर जोर देकर कहा था की अगर तौकीर रज़ा तौबा नही करते है तो खानदान-ए-आला हज़रत उनका बायकाट करे. इस फैसले के लिए सात सदस्यीय मुफ्ती-ए-कराम का पैनल बनाया था। पैनल में शामिल मुफ्ती ने दरगाह के सज्जादानशीन के घर आइएमसी प्रमुख को बुलाकर पक्ष सुना। अखबार के बयान पर भी चर्चा की। इसके बाद शरीयत के मुताबिक फैसला तैयार किया गया। बुधवार को मुफ्ती-ए-कराम ने शरई फैसला सज्जादानाशीन को सौंपा। मौलाना तौकीर रजा खां की मौजूदगी में मौलाना तौसीफ रजा खां ने फैसला पढ़कर सुनाया। जिसमे मौलाना के देवबंद जाने को सरासर हराम करार दिया गया तथा उनसे तौबा करने को कहा गया। इस पर मौलाना ने तौबा की। इसके साथ ही मसलके आला हजरत पर होने और हमेशा चलने की बात कही लेकिन जब इस बारे में मौलाना तौकीर से बात की गई तो तौबा के मामले में उन्होंने कुछ नहीं कहा। बोले, इंसान को हर वक्त तौबा करनी चाहिए। क्या मालूम कौन सी सांस आखिरी हो। मौलाना ने कहा, देवबंद जाना ही नहीं, झूठ बोलना, टीवी देखना, फोटो खिचवाना आदि भी हराम है। फिर भी तमाम उलमा यह कर रहे हैं। ऐसे लोगों से भी तौबा कराई जाए। मुसलमानों के मिल्ली मसायल को लेकर फिर देवबंद जाने के सवाल पर बोले, मुझे मुल्क से मुहब्बत है। मुल्क के लोकतंत्र और अपनी कौम के युवाओं को आतंकवाद से बचाने के लिए शरीयत के दायरे में देवबंद ही नहीं हर कहीं जाऊंगा।