वेटिकन सिटी: पोप फ्रांसिस ने कहा है कि रोम की कैथोलिक चर्च को समलैंगिकों के साथ किए बर्ताव के लिए माफी मांगनी चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार, पोप फ्रांसिस ने रविवार को आर्मीनिया से लौटते वक्त अपने विमान में संवाददाताओं से कहा कि चर्च को समलैंगिक समुदाय को आंकने का कोई हक नहीं है और उसे उनके प्रति सम्मान का भाव दिखाना चाहिए।
पोप ने कहा, ‘सवाल यह है कि यदि कोई ऐसा व्यक्ति उस स्थिति में है, जिसकी नीयत नेक है और जो ईश्वर में यकीन रखता है तो फिर उस पर फैसला करने वाले हम कौन होते हैं? पोप ने समलैंगिकता के बारे में पहले बोले जा चुके अपने मशहूर कथन फैसला करने वाला मैं कौन होता हूं? को दोहराया. उनकी यह टिप्पणी उन संकेतों में से एक थी कि पोप फ्रांसिस के नेतृत्व में वेटिकन समलैंगिक समुदाय के प्रति ज्यादा मैत्रीपूर्ण रवैया अपनाएगा.
हालांकि इसके लिए चर्च के ज्यादातर कंजर्वेटिव सदस्यों ने उनकी आलोचना भी की थी. फ्रांसिस ने उन लोगों के समक्ष भी खेद व्यक्त किया, जिन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा हैं. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि चर्च को सिर्फ उस समलैंगिक व्यक्ति के समक्ष ही खेद नहीं जताना चाहिए, जिसे उसने अपमानित किया है, उसे उन गरीबों और उन महिलाओं के समक्ष भी खेद जताना चाहिए, जिनका शोषण हुआ है. उसे उन बच्चों के समक्ष भी खेद जताना चाहिए जिन्हें काम करने के लिए विवश होना पड़ा है. पोप की ये टिप्पणियों ओरलैंडो जनसंहार के महज दो सप्ताह बाद आई हैं. ओरलैंडो में समलैंगिक लोगों के क्लब में हुई गोलीबारी में 49 लोग मारे गए थे. पोप ने उस हमले की निंदा करते हुए उसे हिंसक मूर्खता और चेतनाशून्य घृणा करार दिया था.