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जानिए, आखिर क्यों कैदियों को सूर्योदय से पहले फांसी दी जाती है?

क्या आपने कभी यह सोचा है की सूर्योदय से पहले ही फांसी क्यों दी जाती है। आइये जानते है कि, क्यों दी जाती है सूर्योदय से पहले फांसी की सजा ? भारतीय दण्ड संहिता के अनुसार फांसी की सजा पाने वाले अपराधी को सूर्योदय से पहले ही फांसी की सजा दे दी जाती है।

परन्तु इन सब से पहले भी कई महत्वपूर्ण कार्य होते है, जिसे पूरा करना होता है। जैसे कि अपराधी को फांसी देने से पहले नए कपड़े देना, उसे धार्मिक अथवा जो भी वो चाहे वो किताब पढ़ने को दी जाती है। यही नहीं उसे उसकी पसंद का खाना भी खिलाया जाता है।

आइये अब जानते है, सूर्योदय से पूर्व फांसी क्यों दी जाती है। सूर्योदय से पूर्व फांसी देने के कई कारण बताए जाते है। अपराधी को फांसी देने का समाज में गलत प्रभाव न हो इसको ध्यान में रखकर सूर्योदय से पहले फांसी दे दी जाती है। सुबह के वक्त व्यक्ति मानसिक तौर पर भी कुछ हद तक तनावमुक्त रहता है। फांसी के पहले जेल प्रशासन को कई प्रक्रियाएं पूरी करनी होती है। अपराधी का मेडिकल टेस्ट, कई रजिस्टरों में एंट्री और कई जगह नोट्स देने होते हैं। वहीं फांसी के बाद अपराधी के शव को परिवारवालों को देना होता है, जिसमें काफी वक्त लगता है। इन्ही सब प्रशासनिक कार्यो के चलते भी फांसी सूर्योदय से पूर्व दी जाती है।

साथ ही यह भी माना जाता है कि जिसे फांसी की सजा मिलनी है उसे अपनी मौत का इतंजार पूरा दिन नहीं करने देना चाहिए। मौत का इंतजार आसान नहीं होता। उसके दिमाग पर गहरा असर पड़ता है, इसलिए फांसी सूर्योदय से पूर्व ही दे दी जाती है।

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