क्यों है सुसाइट बोम्बिंग, इस्लाम के सिंद्धान्तों के खिलाफ सबसे पहले तो नज़र डालते है. उस हक़ीक़त भरी कहानी (हदीस) पर जो मोहम्मद पैगम्बर साहब के ज़माने में पेश आई. इस्लाम के शुरूआती हिस्से में कई जंग हुई जिसमे से एक जंग जंग-ए-उहद के नाम से जानी गई.
इस जंग के मौके पर पैगम्बर मोहम्मद साहब जो की इस्लाम को दुनिया में लेकर आये उन्होंने अपनी तलवार ऊपर उठाते हुए अपने सहाबियों (जो पैगम्बर साहब के साथ रहते थे) से पूछा की कौन है जो मेरी तलवार का हक़ अदा कर सकता है? जिस पर कोई सहाबी आगे न बड़े जिसके बाद एक सहाबी जो मोहम्मद साहब के क़रीबियों में शुमार रहते थे जिनका नाम हजरत उमर था. वह सबसे पहले यह सोच कर आगे बड़े की मोहम्मद पैगम्बर साहब की तलवार उन्हें मिल जाये, मगर मोहम्मद साहब ने आवाज लगाकर दूसरे सहाबी हजरत सिम्माक इब्न खरिसा राजी0 दी और कहा कि यह तलवार तुम रख सकते है, जिस पर सहाबी हजरत सिम्माक की ख़ुशी का ठिकाना न रहा.
मोहम्मद पैगम्बर साहब से कहा, कि इस तलवार का क्या हक़ है, मैं इस तलवार का हक़ किस तरह अदा कर सकता हूँ? जिस पर मोहम्मद पैगम्बर साहब ने 4 बातों को बहुत ही शक्ति से बताया की तलवार कभी भी
1. बूढ़ों पर न उठे
2.बच्चों पर न उठे
3.औरतों पर न उठे
4.और उनपर जिसने हथियार डाल दे
बूड़ो पर न उठे
आज हो रही सुसाईट बोम्बिंग की घटनाओं में बूढ़े और उम्र दराज़ लोगो की मौत हो रही है.
औरतों पर न उठे
आज हो रही सु साईट बोम्बिंग की घटनाओं के वीडियो और फोटोग्राफ सामने आते है तो पता चलता है की मरने वालों ज्यादातर महिलाएं होती हैं.
बच्चों पर न उठे
यह बात सही है जहाँ औरतें होगी वहा बच्चे बी अधिक होंगे.
जो हथियार डाल दे
अब हकीकत आप लोगों के सामने है जब किसी ने आप के खिलाफ हथियार उठाया ही नहीं है तो आप उस शख्स को नहीं मार सकते आप उस पर हमला नहीं कर सकते.
जो इन उसूलों को नहीं मानता वह किसी बी तरह से मुसलमान कहलाने लायक नहीं है. ऐसे लोगो का कोई मजहब नहीं है. इन बातों पर गौर करते हुए मुस्लिम धर्मगुरु उलेमाओं ने इन लोगो को मुस्लिम विरोधी और अमन शांति के मजहब इस्लाम का दुश्मन बताया है. मगर इन सब घिनोनी हरकतों के पीछे की वजह को जानने के लिए आप को और हम को अपने आँखों पर बंधी पट्टी को हटाना होगा और इन सब घिनोनी घटनाओं की वजह का दुनिया की मिडिया को खंडन करना होगा, जिससे सु साइट बोम्बिंग जैसी घटनाओं की असल वजह लोगों तक पहुच सके.