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जानिए इस बेटे की अजीबोगरीब कहानी, जहाँ बाप है एक बड़ा अमीर तो बेटा कंगाल

द्रव्य जो अमेरिका से मैनेजमेंट की पढ़ाई कर अपनी छुट्टियों में भारत आया। 3 जोड़ी कपड़ों और कुल 7,000 रुपयों के साथ 21 जून को उसे कोच्चि शहर जाना पड़ा। क्यूंकि 21 वर्षीय द्रव्य ढोलकिया को उसके पिता सावजी ने एक महीने तक साधारण जिंदगी जीने और साधारण सी नौकरी करने को कहा।

पिता के निर्देशानुसार उसके पास जो 7,000 रुपये हैं, उन्हें भी वह बेहद आपातकालीन स्थिति में ही इस्तेमाल करें। सावजी खुद बताते हैं कि – ” मैंने अपने बेटे से कहा कि उसे अपने लिए पैसे कमाने को काम करना होगा। इसके लिए उसे किसी एक जगह पर एक हफ्ते से ज्यादा नौकरी नहीं करनी होगी, ना तो अपने पिता की पहचान किसी को बता सकता है और ना ही मोबाइल का इस्तेमाल कर सकता है और यहां तक कि घर से जो 7000 रुपये उसे मिले हैं, वह भी उसे इस्तेमाल नहीं करना है। ”

अपने बेटे के सामने ये शर्तें रखने की अपनी सोच के बारे में बताते हुए सावजी कहते हैं कि – ” मैं चाहता था कि वह जिंदगी को समझे और देखे कि गरीब लोग किस तरह नौकरी और पैसा कमाने के लिए संघर्ष करते हैं, कोई भी यूनिवर्सिटी आपको जिंदगी की ये बातें नहीं सिखा सकता, ये बस जिंदगी के अनुभवों से ही सीखी जा सकती हैं। ” बता दें कि सावजी का नाम इससे पहले तब चर्चा में आया था जब उन्होंने अपनी कंपनी के कर्मचारियों को बोनस के तौर पर कार और फ्लैट्स तोहफे में दिया था।

द्रव्य ने पिता की दी हुई चुनौती को स्वीकार कर ऐसी जगह को चुना जहां की स्थितियां उनके लिए नई हों और यहां तक कि वहां की भाषा भी अलग हो। इसके लिए उसने कोच्चि आने का फैसला किया। और उसे मलयालम नहीं आती है और यहां हिंदी आमतौर पर नहीं बोली जाती है। शुरू के 5 दिन द्रव्य के पास ना तो नौकरी थी और ना ही रहने की कोई जगह। वह 60 जगहों पर नौकरी मांगने गया और लोगों ने इनकार कर दिया। द्रव्य बताता है कि – ” मुझे पता चला कि लोगों के लिए नौकरी की क्या अहमियत होती है। ” द्रव्य जहां भी नौकरी मांगने गया, उसने झूठी कहानी सुनाई। वो कहता कि ववो गुजरात के एक गरीब परिवार में पैदा हुआ है और केवल 12वीं तक की पढ़ाई कर सका। इसके बाद द्रव्य को पहली नौकरी एक बेकरी में मिली। फिर उसने एक कॉल सेंटर, जूते की दुकान और मैकडॉनल्ड्स में काम किया। पूरे महीने अलग-अलग जगहों पर काम करने के बाद द्रव्य ने लगभग 4000 रुपये कमाए। द्रव्य कहता है कि – ” पहले कभी मैंने पैसे की चिंता नहीं की थी और वहां मैं दिन में 40 रुपये के खाने के लिए संघर्ष कर रहा था, मुझे लॉज में रहने के लिए रोजाना के 250 रुपये भी चाहिए होते थे। ” द्रव्य मंगलवार को एक महीने बाद वापस अपने घर लौटा है।