इस दुनिया में ऐसे देश भी हैं जहां उनका राष्ट्रीय धर्म मानना अनिवार्य है, यहाँ पर किसी और धर्म का पालन करना अपराध माना जाता है, यहाँ तक की इन देशों में नास्तिकता तक पर प्रतिबन्ध है। इन देशों में इस कानून का उल्लंघन करने पर सीधे मौत की सजा दी जाती है। भारत ऐसे देशों में आता है जहाँ लोगों को किसी भी धर्म-संप्रदाय के मामले में पूर्णतया छूट दी गयी है और उन्हें यह भी अधिकार है कि वे धर्म को मानने या न मानने के अपने विचार को खुले तौर पर रख सकते हैं।
लेकिन कुछ अन्य देशों के लिए यह जिंदगी और मौत का विषय है। कई देशों में जिनमें खासकर इस्लामिक देश शामिल हैं वहाँ नास्तिकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और लगभग 13 देशों में नास्तिकों के लिए मृत्युदंड का भी प्रावधान है। नास्तिकों व धर्म बदलने वालों के लिए मृत्युदंड की सजा का प्रावधान करने वाले देश हैं अफगानिस्तान, ईरान, मलेशिया, मालदीव, नाइजीरिया, पाकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, सोमालिया, सूडान, दुबई, यमन। इसी तरह बांग्लादेश, मिस्र, इंडोनेशिया, कुवैत व जोर्डन में भी नास्तिकों पर धर्म संबंधित अपने विचार देने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
हाल ही में धर्म-संप्रदायों के खिलाफ लिखने वाले कई नास्तिको की हत्या भी की गई है। अनेकों धर्म और कई देवी देवताओं वाले देश भारत में काफी लोग ऐसे भी हैं जो नास्तिक हैं। हालांकि ऐसे लोगों की संख्या काफी कम है। 2011 की जनगणना में केवल 0.002 फीसद भारतीय ऐसे थे जिन्होंने खुद को नास्तिक बताया था। 1.21 बिलियन भारतीयों में से केवल 33,000 नास्तिक हैं। अंग्रेजी अखबार के रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण भारत में 10 में से 7 नागरिक नास्तिक हैं और इसमें महिलाओं की संख्या आधी है। नास्तिकों की लिस्ट में महाराष्ट्र सबसे ऊपर है, यहां 9,652 लोगों ने खुद को नास्तिक बताया था। इसके पश्चात मेघालय (9,089), केरल (4,896) और तमिलनाडु है। इसी तरह लक्षद्वीप में एक ही नास्तिक मिला व दादर और नागर हवेली में चार। यहां यह मायने नहीं रखता कि संख्या कितनी बड़ी या छोटी है, अन्य देशों की तुलना में भारत सेक्युलर देश है।