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जानिए मीना के तीन शैतान के बारे में, आखिर क्या हैं ये

फोटो में जो बिल्डिंग जैसा दिखाई दे रहा है दरअसल वो पिल्लर है।ये तीन पिल्लर अरब के मक्का शहर के मीना नामक उस मुकाम पर बनाये गए है जहाँ शैतान ने हजरत इब्राहिम और उनके बेटे हजरत इस्माइल को क़ुरबानी के लिए जाते समय बहकाया था।

आज इस जगह पर बड़ी -बड़ी बिल्डिंग जैसा दिखाई देने वाला पिल्लर बना हुआ है जिसके चारों तरफ गोल घेरा नुमाया है।हाजियों को हज के दौरान प्रत्येक शैतानी पिल्लर को सात कंकरी मारने का हुकुम है। अगर कंकर पिल्लर से टकरा गया या गोल घेरे में गिर गया तो ठीक नही तो हाजी को दौबारा कंकर मारकर हजरत इब्राहिम की सुन्नत अदा करना वाज़िब है।
ये तीन शैतानी पिल्लर उस यादगार घटना के निशान है जब कुर्बानी के लिए जाते समय हजरत इब्राहिम और इस्माइल को शैतान ने बच्चे, बुडे और विशाल मेमने की शक्ल अख्तियार करके बहकाने की कोशिश की थी। आप दोनों ने शैतान को पहचान लिया और 7 कंकर मारे जिससे शैतान पिघल गया।

शैतान ने अरब के मीना नामक के इस मैदान पर तीन बार उन्हें बहकाने की कोशिश की ताकि वो अल्ल्लाह की राह में क़ुरबानी ना कर पाये।अल्लाह के दोस्त ने शैतान को कंकर मारकर राह आसान की। जिन तीन स्थानों पर शैतान ने उनका रास्ता रोका था उन तीन जगह पर शैतान के पिघलने की जगह पर तीन पिल्लर बने है। इस्माइल कुर्बानी के वक़्त बच्चे थे इसलिए शैतान ने सबसे पहले बच्चे की शक्ल अख्तियार की लेकिन अल्लाह के नबी इस्माइल ने पहचान लिया।

इब्राहिम चूँकि बुजुर्ग हो चले थे सो एक बुजुर्ग की बात एक बूढ़ा मान लेता है शैतान ने बूढ़ा बनकर इब्राहिम को रोकने की कोशिश की तब दोनों ने मिलकर शैतान को कंकर मारे। जब शैतान का दोनों पर बस ना चला तो उसने विशाल जानवर का रूप धारण करके वादी के उस रास्ते को रोक लिया जिससे गुजरकर आप निकलने वाले थे। तब दोनों ने मिलकर उस विशाल जानवर बने शैतान को कंकर मारे।शैतान पिघलकर अपने मकसद में नाकामयाब हो गया और अल्लाह के पैगम्बर ने अपनी सच्ची राह अख्तियार की और खुदा की रज़ामंदी के लिए अपने बेटे की क़ुरबानी करने से भी पीछे नही हटे।

इसी घटना की याद में हाजी हज के दौरान तीन जगह बने शैतानी पिल्लर पर कंकर मारते है। जिसे छोटा शैतान , दरमियानी शैतान और बड़ा शैतान कहते है। हज की 10 तारीख से लेकर 12 तारीख तक शैतान को सात -सात कंकरियां मारते है और यही जिल -हज की दस तारीख को क़ुरबानी करते है जिसे सारी दुनिया में बकरा ईद या ईद -उल -अज़हा कहा जाता है।

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