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टीवी चैनलो पर बहस में भाग लेकर उलेमा गैर इस्लामिक कार्य करते हैं: मुफ़्ती मोहम्मद नाज़िम अली

बरेली: बरेली की दरगाह आला हज़रात के दारुल इफ्ता ने उलेमाओं का टीवी चैनलो पर बहस में भाग लेने को गैर शरई करार दिया है। दारुल इफ्ता के फतवा मरकज़ी के मुफ़्ती मोहम्मद नाज़िम अली कादिर ने यह फतवा जारी करते हुए कहा कि टीवी चैनलो पर बहस में भाग लेकर उलेमा गैर इस्लामिक कार्य करते हैं । उन्होंने कहा कि इस्लाम के नाम पर चैनलो पर बहस में भाग लेकर कुछ लोग अपने चेहरे चमकाते हैं । ऐसे लोगों को गाहे बगाहे प्रधान मंत्री एवं गृह मंत्री से मुलाकात करते देखा जा सकता है।

यही लोग टीवी चैनलोँ पर मुसलिम मसले पर सरकार का दबे और खुले तौर पर बचाओ करते में लंबी लंबी तकरीरें झड़ते हैं। मुफ़्ती मोहम्मद कहते हैं यह नाजायज़ है। उन्होंने अपने फतवे में लिखा है कि टीवी वीडियो जायज़ नहीं। इसपर तकरीर और बहस करना भी नाजायज़ है। इस बारे में तफ़सील से जानने के लिए उन्होंने तजुशशरिया मुफ़्ती अख्तर रज़ा खान की किताब “टीवी वीडियो का ऑपरेशन और शरई हुक्म” का अध्ययन करने की भी सलाह दी है। इस पुस्तक में इस्लाम की रोशनी में टीवी पर बहस या तकरीर करने को हराम करार दिया है। इस फतवे के को जारी करने की वजह बताते हुए एक हिंदी दैनिक को दारुल इफ्ता के मुफ़्ती गुलाम मुस्तफा ने बताया इस्लाम में तस्वीर खींचना खिंचवाना ही हराम है और टीवी तो नाच गाने का माध्यम है। इस लिए भी उलमा को टीवी पर नहीं आना चाहिए।

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