गांव वालों ने शव यात्रा निकाली और वे सुंदरलाल गुर्जर नामक शख्स के खेत से होकर जाने लगे। इस पर सुंदरलाल के बेटे सावन समेत परिवार के अन्य सदस्यों ने इसका विरोध किया और खेत से शव ले जाने की अनुमति नहीं दी। उन्होंने मेदाबाई के शव को ले जाने के लिए रास्ता इसलिए नहीं दिया, क्योंकि वह एक दलित महिला थी। इससे गुस्साए शोक संतप्त लोग खेत में ही लाश रखकर धरने पर बैठ गए।
इस घटना की जानकारी समीप के धन गांव पुलिस थाने को मिली, तो पुलिस भी घटनास्थल पर पहुंच गई। करीब दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस ने शव यात्रा को खेत से निकलवाया। इसके बाद गौ घाट पर मेदाबाई का अंतिम संस्कार किया गया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गोपाल खाण्डेल ने बताया कि आमतौर पर डोंगर गांव में सुंदरलाल के खेत से शव यात्रा निकालने की परंपरा है। क्योंकि इस रास्ते से नदी का गौ घाट नजदीक पड़ता है। उन्होंने बताया कि पुलिस ने सावन और उसके अन्य रिश्तेदारों के खिलाफ केस दर्जकर लिया है।