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पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती, 6 बच्चों के बाप और 8 बच्चों के दादाजी कर रहे हैं 10वीं में पढ़ाई

काठमांडु: यह बिल्कुल ही सही कहा गया है कि पढ़ने-लिखने की कोई उम्र सीमा नहीं होती. इस बात को सही साबित कर रहे हैं नेपाल के रहने वाले एक दादाजी जिन्होंने अपनी पत्नी की मौत के बाद फिर से स्कूल जाने का फैसला किया है. 68 साल के दुर्गा कामी काठमांडु के सियांग्या गांव के रहने वाले हैं. यह पहाड़ों से घि‍रा हुआ है. इन्हें स्कूल जाने में रोज 1 घंटे लगते हैं. वो अपने 14 साल के एक सहपाठी के साथ लाठी के सहारे रोज स्कूल जाते हैं.

छह बच्चों के पिता और आठ बच्चों के दादाजी दुर्गा कामी पढ़ाई खत्म होने के बाद शिक्षक बनना चाहते हैं.

जानिए इनकी पढ़ाई से संबंधित ऐसे बातें जो किसी को भी प्रेरणा देगी…

1. सबसे पहले उन्होंने काहार्य प्राइमरी स्कूल से 5वीं तक की शिक्षा हासिल की. वहां उन्हें लिखना और पढ़ना सीखा.

2. पढ़ाई को लेकर उनकी इच्छा को देखते हुए उन्हें श्री कला भैरब हायर सेकेंडरी स्कूल के एक शिक्षक ने स्कूल में पढ़ने के लिए बुलाया.

3. स्कूल उन्हें कपड़े के साथ-साथ स्टेशनरी का सामान भी देता है.

4. फिलहाल वह 10वीं कक्षा के स्टूडेंट हैं.

वहीं, उन्होंने अपने सहपाठियों को यह वचन भी दिया है कि अगर वो 10वीं की परीक्षा पास कर लेंगे तो अपनी दाढ़ी कटवा लेंगे. रॉयटर्स को दिए अपने इंटरव्यू में उन्होंने कहा है, ‘ अगर बच्चे किसी बूढ़े आदमी को स्कूल आते देखते हैं, जैसे कि सफेद दाढ़ी के साथ मुझे देख रहे हैं तो वो पढ़ाई करने के लिए प्रेरित होते हैं. उनकी मेहनत और लगन को देखते हुए उनके साथ पढ़ने वाले 20 बच्चे उन्हें ‘बा’ बुलाते हैं जिनका मतलब नेपाल में पिता होता है. अपनी पत्नी की यादों के सहारे वो मरते दम तक सिर्फ पढ़ाई करना चाहते हैं क्योंकि पढ़ाई उन्हें बढ़ती उम्र से लड़ने का भी सहारा देती है.

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