पेरिस: फ्रांस की ‘हिन्द अह्मास’ और 36 वर्षीय ‘नाइत अली’ ऐसे दो महिलाये हैं, जिन्हें फ्रांस के एंटी-बुर्का कानून के तहत सजा मिली है। नाइत अली को सार्वजानिक स्थान पर बुर्का पहनने के आरोप में सजा मिली है। फ्रांस में पिछली सरकोजी सरकार के समय से ही मुंह ढकने वाले सभी परिधान बैन है जिसमे अधिकतर इस्लामी कपडे जैसे बुर्का और हिजाब आदि आते है जिसका मुस्लिम समुदाय ने विरोध भी किया था।
सभी तरह के विरोधो को धत्ता बताते हुए फ्रांस की पार्लियामेंट में बहुमत से इस बिल को पास कर दिया गया था जिसके बाद से देश में सार्वजानिक स्थानों पर किसी भी प्रकार का मुंह ढंकने वाला परिधान पहनने पर जुर्माना या सजा हो सकती है। मुस्लिम महिला अह्मास को अप्रैल महीने में गिरफ्तार किया गया था जब वह अपनी महिला मित्र अली के साथ एक एक सार्वजानिक स्थान पर शॉपिंग कर रही थी। अह्मास को मेऔक्स की एक अदालत ने जुर्माना सुनाया था। अदालत द्वारा जुर्माने के 120 यूरो न भरने पर कोर्ट ने अह्मास को दो साल के कारावास की सजा सुनाई है जिसके बाद अह्मास पहली महिला बन जाएगी जिसे फ्रांस में प्रतिबंधित परिधान पहनने के आरोप में सजा हुई है।
अह्मास ने न केवल जुरमान भरने से मना किया बल्कि इस फैसले को अपनी धार्मिक, व्यक्तिगत और विचारो को व्यक्ति करने वाली आजादी के खिलाफ बताया वही फ्रांस में बहुत से लोगों ने इसका समर्थन किया है। वही बिल को लाने वाले वाले सरकोजी का कहना है की बिल का उद्देश्य देश में मुसलमानो से अन्याय नहीं करना था बल्कि इसका उद्देश्य फ्रांस की खुली सोच की संस्कृति को और अधिक स्वतंत्रता देना था। गौरतलब है की एंटी-बुर्का बिल के समर्थन में लाखों लोगों ने अपने समर्थन के लिए पत्र और हस्ताक्षर भेजे थे जिसके बाद सरकार ने सभी पहलुओ पर विचार करके बिल को संसद में रखा था। वही अब इस घटना के बाद यूरोप के कई अन्य देश जैसे डेनमार्क, बेल्जियम, स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड और हॉलैंड आदि देश भी इस बिल के समान कानून देश में ला सकते है क्यूंकि कई सालो से इन देशो की जनता भी बुर्का पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रही है।