बनारस: जैसा कि आप सभी जानते ही है कि हिन्दू धर्म में हमेशा से शव का अंतिम संस्कार लकड़ियों को जला कर ही किया जाता है. पर जैसा कि हम सब जानते हैं, पेड़ों की संख्या दिन-ब-दिन घट रही है, ऐसे में लकड़ियों को जला कर अन्तिम संस्कार करना मुश्किल होता चला जाएगा.
इस समस्या का हल कोयम्बटूर के ‘Kasi Pasumai Yatra’ ने एक अनोखी पहल कर के निकाल लिया है. ये लोग पूरे कोयम्बटूर से नारियल के छिलके जमा कर रहे हैं और उन्हें काशी भेज रहे हैं. इन छिलकों का पाउडर बना कर उन पर शवों का अन्तिम संस्कर किया जाएगा. इसके संस्थापक R Nithyanandam ने पहले नारियल के छिलके पर जलाने को सोचा था. पर फिर उन्होंने निर्णय लिया कि वो इन छिलकों का पाउडर बनायेंगे. एक शव का अंतिम संस्कार करने में 300 किलो लकड़ियां लगती हैं. इस तरह वो कई पेड़ बचा सकते हैं.
बनारस के गंगा तट पर हर रोज़ लगभग 800 शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है, जिसमें 280 टन लकड़ियां लगती हैं. इनके लिए हर साल लाखों की संख्या में पेड़ काटे जाते हैं. इसलिए इस पहल को काफी सराहा जा रहा है. बनारस के लिए 140 टन नारियल के छिलकों का पाउडर भेजा जा चुका है. हालांकि, हिन्दुओं में अपनी परम्पराओं के पुरातन निर्वहन के मद्देनज़र, इस नई परंपरा को अपनाने के प्रति थोड़ा संकोच हो सकता है. Nithayanandam इसके लिए 12 बार बनारस गए और वहां के स्थानीय लोगों से बातचीत कर उन्हें इस परियोजना के लाभ बताए. इसके लिए उन्होंने 35 लाख का शुरुआती निवेश किया है. यही नहीं, वो खुद अपने दोपहिया वाहन पर घर-घर जा कर नारियल के छिलके भी जमा कर रहे हैं. उनकी मेहनत ज़ाया नहीं जा रही है, लोग पर्यावरण की रक्षा को ले कर जागरूक हो रहे हैं. उन्हें पूर्व पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से भी इस काम के लिए सराहना मिल चुकी.