नई दिल्ली: आपको बता दे कि 10 वर्षीय बच्चा सागर बर्मन एक चाइल्ड वर्कर के रूप में ज़ोबैदा टेक्सटाइल्स में काम कर रहा था, उसे 24 जुलाई दोपहर को ढाका मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल लेकर जाना पड़ा, जहाँ थोड़ी देर बाद ही डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। बाद में जांच के दौरान पता चला कि सागर के साथ पहले तो कुछ युवकों ने गैंग रेप किया और फिर प्राइवेट पार्ट में हवा भर के मार दिया।
ये सिर्फ एक घटना नहीं है, ऐसे अत्याचार बांग्लादेश की भूमि पर हर रोज होते हैं। हर रोज किसी न किसी हिन्दू को अत्याचार की हदों से गुजरना पड़ता है। हॉस्पिटल में मरने से पहले सागर का इलाज करने वाले डॉक्टर फिरोज का कहना है कि जब सागर को हॉस्पिटल लाया गया था, तब उसका पेट अंदर से सूज चूका था और डॉक्टर का मानना है कि सागर के साथ निर्दयतापूर्वक बुरी तरह शारीरिक हिंसा की गई होगी।
बांग्लादेश में क़ानूनी तौर पर बच्चों को 18 साल तक काम करवाना अपराध की श्रेणी में है पर यूनिसेफ के अनुसार 14 साल से नीचे 49 लाख बच्चे बांग्लादेश की फैक्टरियों में काम कर रहे हैं। 17 साल से नीचे 74 लाख तक पहुँच जाता है ये आंकड़ा। इसमें अधिकतर बच्चे हिन्दू परिवारों से हैं। सागर से पहले एक 13 वर्षीय लड़के के साथ भी 6 युवकों ने ऐसा ही मार्मिक काण्ड किया था, जिसके बाद उसकी वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर भी डाली गई थी। बच्चा अपनी जान के लिए बिलख रहा था मगर वो दरिंदे अपनी हैवानियत पर उतर चुके थे। पुलिस ने उन 6 को पकड़ लिया और उन्हें कानून के तहत फांसी की सज़ा सुनाई गई। ये कहना गलत नहीं होगा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में जिस तरह अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है, एक दिन यहाँ हिन्दू शब्द ही गायब हो सकता है। और इस के लिए जिम्मेदारी बनती है world aur national human rights की, जिन्होंने हर बार हिन्दुओं को नजरंदाज किया है। विश्व के कौने कौने में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों पर आज तक एक भी जायज़ रिपोर्ट दुनिया के सामने नहीं पेश की है। और मीडिया की मदद से इस मामले में भी गलत तथ्य पेश किए गए हैं ।