बुलंदशहर: बुलंदशहर के NH-91 पर हुए गैंगरेप मामले में पुलिस की फर्जी खुलासे की पोल खुल गई है। मां-बेटी गैंगरेप मामले में एसएसपी अनीस अहमद अंसारी ने मंगलवार को नया खुलासा किया। उन्होंने ने कहा कि आरोपियों के जो नाम डीजीपी जावीद अहमद ने रविवार को प्रेस कान्फ्रेंस में बताया था, तब तक बदमाशों के नाम की तस्दीक नहीं हो सकी थी।
जिसकी वजह से दुसरे बदमाशों को जेल भेज दिया गया। एसएसपी अहमद अंसारी ने साफ तौर पर कहा कि डीजीपी ने जिन दो आरोपियों के नाम बताये थे, वे दोनों नाम गलत थे।
रविवार को डीजीपी ने प्रेस कान्फ्रेंस में जब इस केस का खुलासा किया कि तीनों बदमाशों की पहचान पीड़ित परिवार ने कर ली है और इसी आधार पर मुख्य आरोपियों में नरेश उर्फ ठाकुर निवासी भटिंडा और बबलू निवासी फरीदाबाद के नाम बुलंदशहर के रईस नाम के बदमाश के साथ जेल भेज दिया गया है।
लेकिन बाद में पता चला की पुलिस ने जिन तीन आरोपियों को जेल भेजा उसमें बबलू और नरेश उर्फ ठाकुर नही थे। पुलिस ने इन दोनो के स्थान पर हापुड़ के शाबेज और नोएडा के जबरसिंह को शामिल किया था। पुलिस की लापरवाही एफआईआर दर्ज करने से ही शुरू हो गयी थी। एफआईआर में शुरूआत में पुलिस ने केवल डकैती और रेप की धाराऐं लगाई थी। बाद में मूल एफआईआर पर पेन से गैंगरेप की धारा में ‘G’ और पास्को एक्ट की धारायें बढ़ाई गयी थी।