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ब्लूटूथ के ज़रिये डेटा ट्रांसफर करना हुआ अब और भी ज़्यादा आसान

आजकल के सभी कनेक्टेड डिवाइस में ब्लूटूथ होता है. इसका इस्तेमाल दो डिवाइस के बीच डेटा ट्रांसफर करने के लिए होता है.कनेक्टिविटी की रेंज को पहले से कहीं बेहतर कर देगा. लॉन्च के बाद की इस रिपोर्ट के अनुसार उसकी रेंज अब चौगुनी हो गई है और डेटा ट्रांसफर की रफ़्तार दोगुनी.लेकिन आपके स्मार्टफोन या टैबलेट के लिए ये कैसे पहले से बेहतर काम करता है उसके बारे में बताते हैं.

अगर स्मार्टफोन या टैबलेट पर ब्लूटूथ ऑन छोड़ दिया तो बैटरी पर असर पड़ता है. ऐसा पहले होता था क्योंकि पुराने ज़माने का फ़ोन (तब स्मार्टफ़ोन नहीं होते थे) हमेशा कनेक्ट करने के लिए दूसरा डिवाइस ढूंढ़ता रहता था. ब्लूटूथ4 के बाद अब ये ‘लो एनर्जी मॉड्यूल’ में काम करते हैं. इससे बैटरी पर असर अब काफी कम हो गया है. एक बार कनेक्शन होने के बाद डिवाइस नहीं के बराबर बैटरी पर काम करता है. अगर स्मार्टफोन ब्लूटूथ हेडसेट से कनेक्टेड है तो उसका असर बैटरी पर नहीं के बराबर होगा.

ब्लूटूथ के क्लास 3 डिवाइस पर आप 10 मीटर से कम फ़ासले तक ही कनेक्ट कर सकते हैं, क्लास 2 डिवाइस पर कनेक्टिविटी करीब 10 मीटर तक की होती है और क्लास 1 डिवाइस पर कनेक्टिविटी 100 मीटर तक की मिल जाती है. इसलिए ब्लूटूथ या वाई फाई की स्पीड इस पर निर्भर करती है कि पास में कौन से और डिवाइस काम कर रहे हैं. किसी भी ऑफिस में दर्जनों लोग काम करते हैं लेकिन उससे कनेक्टिविटी की रफ़्तार कम नहीं हो जाती है.