बेंगलुरू: भारतीय वायुसेना को आज अपने ही देश में बने दो लड़ाकू विमान मिलेंगे। आज भारतीय वायुसेना दो तेजस विमानों को शामिल कर देश में ही विकसित इस हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) के पहले स्क्वॉड्रन का गठन करेगी।
भारतीय वायुसेना में आज स्वदेशी तेजस की स्क्वाड्रन शामिल होने वाली है। बेंगलुरू में दो विमानों के इस स्क्वाड्रन की शुरुआत होगी। वायुसेना के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब देश में निर्मित किसी युद्धक विमान की स्क्वाड्रन का सपना साकार होने जा रहा है। वायुसेना सूत्रों के अनुसार, मार्च 2017 तक छह और तेजस मिलने की संभावना है। अधिकारियों के मुताबिक तेजस दुनिया में उत्कृष्ट विमान के रूप में उभर रहा है। विकसित होने के दौरान विमान ने ढाई हजार घंटे के सफर में तीन हजार बार उड़ान भरी है और इसका प्रदर्शन बेहतरीन रहा है।
स्क्वाड्रन में शामिल होने वाले पहले 20 विमान आरंभिक संचालनात्मक मंजूरी के साथ शामिल किए जाएंगे। लेकिन इसके बाद शामिल होने वाले 20 विमानों को अंतिम संचालनात्मक मंजूरी होगी। यानी वे अत्याधुनिक हथियारों तथा राडार प्रणाली से लैस होंगे। वायुसेना में कुल 120 तेजस विमान शामिल किए जाने हैं, जिनमें उपरोक्त पहले 40 विमानों को छोड़कर बाकी मार्क-1 श्रेणी के अत्याधुनिक विमान होंगे। ये हवा में ईधन भरने में सक्षम होंगे और मिग विमानों की जगह लेंगे।
वायुसेना अधिकारियों के अनुसार अभी तेजस में हथियार फिट नहीं हैं। अगले साल के अंत तक इसे हथियारों से लैस किया जाएगा। उसके बाद यह पूर्ण रूप से लड़ाकू विमान बन जाएगा। तेजस में शुरुआती दौर में करीब 40 कमियां थी, जिन्हें अब दूर कर लिया गया है। इन विमानों में अब सिर्फ 18 मामले हैं, जिनका समाधान होना अभी बाकी है। लेकिन ये ज्यादातर रखरखाव से संबंधित हैं। इसलिए यह कोई समस्या नहीं है।