नई दिल्ली: मथुरा के जवाहरबाग में अतिक्रमण हटाने गई पुलिस टीम पर उपद्रवी ने हमला बोल दिया। इस हमले में पुलिस के दो अफसर सहित 22 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में करीब 17 लोग आजाद भारत विधिक वैचारिक सत्याग्रही नाम के संस्था के सत्याग्रही हैं।
पुलिस हालांकि अभी और सत्याग्रहियों की मौत की आशंका से इंकार नहीं कर रही है लेकिन बड़ा सवाल ये है कि इस सारे फसाद की जड़ सत्याग्रहियों का नेता रामवृक्ष यादव भी पुलिस मुठभेड़ में मारा गया या अन्य लोगों की तरह भागने में सफल रहा है। यह सवाल इसलिए भी खड़ा हो जाता है कि न पुलिस उसके मरने की पुष्टि कर रही है और नही उसके फरार होने की। पुलिस की लिखा-पढ़त में उसके गिरफ्तार होने का भी जिक्र नहीं है। हालांकि संभावना इस बात की ही जताई जा रही है कि पुलिस के साथ मुठभेड़ में उसकी मौत हो चुकी है।
अंदरखाने पुलिस सूत्रों से जो जानकारी मिली उसके अनुसार जिस समय पुलिस ने जवाहर बाग में प्रवेश किया उस दौरान सत्याग्रहियों की ओर से अचानक फायरिंग शुरू कर दी गई, एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी उस दौरान पुलिस का नेतृत्व कर रहे थे, फराह एसओ संतोष यादव भी उनके साथ चल रहे थे। फायरिंग होते देख संतोष यादव ने बहादुरी दिखाते हुए एसपी सिटी को बचाने का प्रयास किया, इस चक्कर में कई गोलियां उन्हें भी लगी।
नेतृत्व कर रहे दोनों अधिकारियों को सत्याग्रहियों की गोली का निशाना बनता देख पुलिस ने आपा खो दिया और सत्याग्रहियों की ओर अपनी रायफलों का मुंह खोल दिया। बताया जा रहा है कि पुलिस पर पहली फायरिंग करने वाला रामवृक्ष यादव ही था जो पुलिस की जवाबी कार्रवाई में मारा गया। हालांकि पुलिस ने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की। पुलिस की इस चुप्पी के कारण अभी तक रामवृक्ष की मौत पर संदेह बना हुआ है। संदेह इसलिए भी गहरा गया कि जब डीजीपी जावीद अहमद ने अपनी प्रेस कान्फ्रेंस की तो रामवृक्ष को लेकर सीधे कोई जिक्र नहीं किया। हां एक सवाल के जवाब में उन्होंने रामवृक्ष सहित चार सत्याग्रहियों का नाम लेते हुए इतना जरूर कहा कि इन लोगों से अलग अगर कोई हमलावर जिंदा बचा है तो पुलिस उसे ढूंढ निकालेगी। हालांकि बार बार कुरेदने के बाद भी पुलिस अधिकारी रामवृक्ष के मुद्दे पर खुलकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।