लखनऊ: समाजवादी पार्टी में आपसी खींचतान एक बार फिर सतह पर आती दिखाई दी, जब माफिया डान और विधायक मुख़्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल के समाजवादी पार्टी में विलय से नाराज मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक कद्दावर कैबिनेट मंत्री को बर्खास्त कर दिया। राज्यपाल राम नाईक ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सिफारिश पर माध्यमिक शिक्षा मंत्री बलराम यादव को हटा दिया है।
मुख्यमंत्री अब माध्यमिक शिक्षा विभाग का काम भी देखेंगे। राज्यपाल की मंजूरी के बाद मुख्य सचिव आलोक रंजन ने बलराम यादव की बर्खास्तगी की अधिसूचना जारी कर दी है। मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल के समाजवादी पार्टी में विलय को लेकर बलराम यादव की भूमिका मानी जा रही है। इससे मुख्यमंत्री खासे नाराज हैं। हालांकि सपा में मुख्तार अंसारी को शामिल नहीं किया गया है, लेकिन मुख्यमंत्री के जौनपुर दौरे पर जाते ही कौमी एकता दल के सपा में विलय का ऐलान किया गया। इस विलय में पूर्वांचल के जिन प्रमुख तीन नेताओं का नाम सामने आ रहा है, उनमें बलराम यादव का नाम प्रमुख रूप से शामिल है।
कौमी एकता दल के सपा में विलय के मद्देनजर जौनपुर में मीडिया के सवालों के आगे मुख्यमंत्री को असहज होना पड़ा था। क्योंकि इससे पहले वे बाहुबली डीपी यादव को जहां ठुकरा चुके थे, वहीं पिछले दिनों एक कार्यक्रम में बाहुबली अतीक अहमद को धकिया दिया था। उन्होंने जौनपुर में पत्रकारों से कहा भी कि उनकी पार्टी अकेले ही अपने विकास और जनकल्याणकारी कामों के बल पर जीत सकती है।
वैसे भी बलराम यादव से पार्टी नेतृत्व नाराज बताया जा रहा था। बीच में उनसे पंचायती राज जैसा महत्वपूर्ण विभाग लेकर कारागार विभाग दे दिया गया था। हालांकि पिछले दिनों उन्हें दोबारा माध्यमिक शिक्षा जैसा विभाग दे दिया गया। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री बलराम यादव के विधायक बेटे संग्राम सिंह को राज्य मंत्री बनाने के पक्ष में हैं। संभव है कि बलराम को सपा प्रमुख संगठन में कोई जिम्मेदारी दिलवा दें, क्योंकि वह आजमगढ़ के हैं और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव वहां से सांसद हैं। सपा प्रमुख ने बलराम को हार जाने के बावजूद कैबिनेट मंत्री बनवाया था। अभी उनका एमएलसी का कार्यकाल खत्म हो रहा था तो दोबारा एमएलसी बनवाया।