फर्रुखाबाद। शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के संस्थापक सदस्य मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि एक सांस में तीन तलाक इस्लाम में जायज नहीं है। शिया पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से जारी निकाहनामे के नए ड्राफ्ट के संबंध में कहा कि इससे तलाक संबंधी विवादों में कमी आएगी।
मजलिस को खिताब करने आए मौलाना जवाद ने कहा कि एक बार तलाक कहने के बाद शरई नजरिए से न सही, लेकिन अखलाकी एतबार से निकाह टूट जाता है। ऐसे में दोबारा या तिबारा तलाक कहने का अखलाकी हक भी शौहर से खत्म हो जाता है। इसलिए दूसरे और तीसरे तलाक के बीच में वक्फा और सुलह की गुंजाइश होनी चाहिए। फिर भी अगर बात न बने तो किसी मजहबी रहनुमा से बात करनी चाहिए। तलाक तो अंतिम विकल्प होना चाहिए। उन्होंने कहा कि नए पारिवारिक मुकदमों में कमी आएगी। उन्होंने इसे पूरी तरह से इस्लाम के दायरे में बताया।