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यह हैं अच्छे दिन, फर्श पर परोसा जा रहा है मरीज़ों को खाना

रांची: दिन के एक बजे रहे हैं, पता नहीं किसी अधिकारी से मुलकात होगी या नहीं, और उस महिला की छुट्टी तो नहीं कर दी गई, यही सोचते हुए हम झारखंड राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान रांची ( रिम्स) की सीढ़ियों पर तेजी से चढ़ते जा रहे थे. कुछ ही देर में हम उस बीमार और लाचार महिला के करीब थे, जिसकी एक तस्वीर अखबारों के पहले पन्ने पर प्रमुखता से छपी है और य़ही तस्वीर सोशल मीडिया पर देखते ही देखते वायरल हो गई है. कमेंट्स का सिलसिला जारी है- जिसमें अस्पताल प्रबंधन और सरकार की किरकिरी के साथ मानवता पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं.
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दरअसल गुरुवार को अस्पताल के कर्मचारियों ने इस महिला को फर्श पर खाना परोसा था. भूख से व्याकुल महिला टूटे हाथ से ही खाना खाती रही और इसे परोसने वाले कर्मचारी मुस्कराते रहे.
यह इत्तेफाक था कि उधर से गुजरते सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी रांची महानगर के मनोज मिश्रा, केके गुप्ता समेत कुछ कार्यकर्ताओं ने इसे देखा, तो तस्वीरें उतारी और कई मरीजों के बीच थालियां खरीद कर बांटी. केके गुप्ता कहते हैं वे लोग मुख्यमंत्री से अस्पताल की हालत पर शिकायत करेंगे. वे बताते हैं कि अस्पताल में भर्ती पार्टी के एक कार्यकर्ता का हाल जानने वे लोग हड्डी विभाग गए थे, तब लाचार महिला को फर्श पर खाते देखा, तो आवाक रह गए.

मौके पर अस्पताल के कर्मचारी सही जानकारी देने से कन्नी काटते रहे. अब हंगामा बढ़ा है, तो कई स्तर पर जांच भी बैठा दी गई है. अस्पताल के निदेशक ने अखबारों के कतरन लगाते हुए उपाधीक्षक डॉ वसुंधरा कुमारी से रिपोर्ट तलब की है. उपाधीक्षक बताती हैं कि खाना परोसने वाले कर्मचारी को काम से हटा दिया गया है. रिटायर होने के बाद उन्हें अनुबंध पर रखा गया था.
वे बताती हैं कि बीमार महिला लावारिस हाल में हैं और उन्हें किसी ने अधिकारिक तौर पर भर्ती भी नहीं कराया है. लिहाजा नियम के अनुसार इलाज भी नहीं हो रहा था. शुक्रवार को उन्हें भर्ती करने की कोशिश की गई, लेकिन वे वार्ड से निकल कर बाहर चली आईं. हालांकि महिला अपना नाम मुन्नी देवी बताती हैं और करीब पंद्रह दिनों से अस्पताल के हड्डी विभाग के सामने गैलरी (कोरीडोर) पर पड़ी हैं. गैलरी में सुरक्षा गार्ड और अधिकारियों की भीड़ देखकर वो आवाक सी हैं. सहमी सी आवाज में पूछती हैं थाली मिल गई, खाना तो मिलेगा ना. उनकी नजरें पास रखे पानी के बोतल पर गड़ी होती है. मानो मुश्किलें बढ़ी, तो कम से कम हलक सूखे नहीं रहेंगे.

आंखों में डर भी है कि यहां से अब बाहर न निकाल दिया जाए. उनके पास कपड़े भी नहीं थे. कई दिनों से वो नहाई भी नहीं हैं. हिन्दी बोल नहीं पाती. पर उनकी बातों से स्पष्ट हुआ कि कभी डॉक्टरों या नर्सों ने उनकी नब्ज भी नहीं टटोली. वो इशारों में जानना चाहती हैं कि हाथ पर चढ़े प्लास्टर को कब काटा जाएगा.
अस्पताल में और भी कई लावारिस हाल में लाचार- बीमार लोग बरामदे पर लेटे पड़े थे. वे टुकुर- टुकुर ताकते रहे. कर्मचारियों से बातचीत में पता चला कि अक्सर ऐसे मरीज़ लावारिस हाल में पड़े होते हैं. इस बीच हमारी नज़र फ़र्श पर बैठे स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव मनोज कुमार पर पड़ती है. वे काफी देर तक महिला की बातों को समझने की कोशिशों में जुटे रहे. वहां पर भीड़ और गहमागहमी है. हम समझ गए थे कि कई स्तरों पर जांच बैठा दी गई है.

भीड़ में किसी गार्ड ने बताया कि बिहार से आई है, तो कोई कर्मचारी कहता है बंगाल की रहने वाली है. मनोज कुमार बिहार की भाषा में महिला की बातों को समझन की कोशिश करते हैं, जबकि एक वरिष्ठ छायाकार माणिक बोस बंगला भाषा में बात कर पता जानना चाहते हैं. महिला, श्रीपुर बोआरीजोर कहती हैं. हालांकि यह इलाका साहेबगंज से सटा है. इस बीच स्वास्थ्य विभाग की जांच टीम महिला से पूछती है कि कितने दिनों से फर्श पर खाना परोसा जा रहा है. महिला पास रखे बोतल से पानी फर्श पर गिराती हैं और कहती हैं, रोज तो इसी पर खाते हैं. मौके पर अस्पताल की महिला डायटिशयन और खाना परोसने वाले कर्मचारी को बुलाया गया. वो सफाई देने की कोशिशों में जुटे रहे. कर्मचारी चंदरमुनी कहने लगे कभी कागज पर तो कभी पॉलिथिन पर भी दिए जाते थे. लावारिस मरीजों को खाना नहीं देना है, पर वे लोग सहानुभूति के तहत खाना खिला देते हैं.

मनोज कुमार अस्पताल के अधिकारियों- कर्मचारियों से कहते हैः हद हो गई, कई दिनों से ये महिला इसी हाल में है और भर्ती करने के बजाय फर्श पर खाना परोस दिया जा रहा है. आखिर मानवता भी कोई चीज है. अधकारी यह भी पूछते रहे कि लावारिस हाल में अस्पताल के बरामदे पर पड़े और मरीजों के इलाज रहने- खाने की क्या व्यवस्था है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने बताया कि प्रधान सचिव ने तीन सदस्यीय जांच दल बनाकर भेजा है और 24 घंटे में रिपोर्ट देने को कहा गया है.

गौरतलब है कि व्यवस्था में कथित तौर पर गड़बड़ियों को लेकर अक्सर चर्चा और जांच के घेरे में रहने वाले इस अस्पताल का पिछले 19 सितंबर को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने जायजा लिया था, तब अधिकारियों ने पहले से की तैयारियां दिखाकर प्रशंसा बटोरी थी.

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