ब्रिटेन के लोगों ने शुक्रवार (24 जून) को यूरोपिय संघ (EU) से बाहर होने का फैसला किया है। ब्रिटेन के इस फैसले से खाली ब्रिटेन ही नही बल्कि बाकी दुनिया पर भी असर होगा और उससे भारत भी अझूता नहीं है। भारत पर इस फैसले का मिला-जुला असर देखने को मिलेगा।
शेयर मार्केट के हिसाब से जहां यह ठीक नहीं है, वहीं आने वाले वक्त में इससे व्यापार के नए रास्ते खुल सकते हैं। हालांकि, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आश्वासन दिया है कि उनकी तरफ से किसी भी संकट से निपटने के लिए प्लान बना लिया गया है।
नुकसान
ब्रिटेन के यूरोप से अलग होने के फैसले के साथ ही पाउंड की स्थिति डॉलर के मुकाबले कमजोर हो गई। डॉलर के मजबूत होने पर रुपए की कीमत गिरना लगभग तय है। कच्चे तेल की खरीद डॉलर में की जाती है। इस वजह से डॉलर के मंहगे होने पर कच्चा तेल भी महंगा हो जाएगा। इससे पेट्रोल और डीजल के दाम चढ़ेंगे। ब्रिटेन में 800 इंडियन कंपनियां हैं। यूके के ईयू से बाहर होने पर इनके कारोबार पर असर पड़ेगा, क्योंकि इसमें ज्यादातर यहां रहकर ओपन यूरोपियन मार्केट में बिजनेस करती हैं। इसमें टाटा मोटर्स भी शामिल है।
एक बड़ी समस्या तब पैदा होगी जब यूरोप के देश अपने रास्ते ब्रिटेन के लोगों के लिए बंद कर लेंगे। अबतक तो यूरोप में रह रहे लोग एक दूसरे देश में बिना किसी रुकावट, बॉर्डर या वीजा के जा रहे थे। अगर यूरोप ने नए नियम ला दिए तो भारतीय कंपनियों को यूरोप में घुसने के नए रास्ते बनाने होंगे। ऐसे में ब्रिटेन के यूरोप से अलग होने पर यूरोप के देशों से नए करार करने होंगे। इससे खर्च बढ़ेगा और अलग-अलग देशों के अलग अलग नियम-कानून से जूझना होगा। आईटी कंपनी ने ब्रिटेन के बाहर होने पर आईटी सेक्टर में 108 बिलियन डॉलर का नुकसान होने की बात कही थी। उन्होंने यह भी कहा था कि यह आर्थिक संकट साल-दो साल के लिए ही होगा। इसके साथ ही भारतीय आईटी सेक्टर के 6 से 18 फीसद कमाई ब्रिटेन से ही होती है।
फायदा
भारत यूके में निवेश करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है। इसके अलावा द्विपक्षीय व्यापर करने वाले देशों की गिनती में ब्रिटेन 12वें नबर पर आता है। ब्रिटेन उन 25 देशों में 7वें नंबर पर आता है जिनसे भारत सामान लेता कम है और वहां भेजता ज्यादा है।