पाकिस्तान, इस्लामाबाद: पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार का कहना है कि पाकिस्तान लड़ाई के जरिए कश्मीर पर नियंत्रण नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि भारत के साथ आपसी विश्वास के माहौल से ही इस मसले पर बात आगे बढ़ सकती है।
जियो न्यूज को दिए इंटरव्यू में हिना ने कहा, ”मेरा मानना है कि पाकिस्तान जंग के जरिए कश्मीर का हक नहीं पा सकता है। यदि हम ऐसा नहीं कर सकते तो फिर बातचीत का विकल्प ही शेष बचता है। आपसी संवाद ऐसा एकमात्र जरिया है जिससे आप अपने रिश्तों को सामान्य बना सकते हैं और आपसी विश्वास बरकरार रख सकते हैं।” हिना रब्बानी खार 2011-13 तक विदेशी मंत्री रही थीं।
हिना ने दावा किया कि गठबंधन की विवशता के बावजूद पूर्ववर्ती पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) सरकार ने वीजा नियमों को लचीला बनाकर और व्यापारिक संबंधों को सामान्य कर भारत के साथ संबंध सुधारने की पुरजोर कोशिश की। पाकिस्तान की विदेश नीति में सेना के प्रभाव के सवाल पर हिना रब्बानी ने कहा कि डिप्लोमेट्स का काम विभिन्न मसलों पर सेना के दृष्टिकोण को उस समय आगे बढ़ाना होता है जब सेना भी इनमें संबद्ध पक्ष होती है। कुछ लोगों का मानना है कि यह मामला तब ही सुलझ सकता है जब भारत में भाजपा सरकार सत्ता में रहे और पाकिस्तान में सैन्य सरकार। खार के अनुसार, परवेज मुशर्रफ ने अपने कार्यकाल के दौरान कश्मीर मुद्दे पर भारत को काफी रियायतें दीं।
अमेरिका के भारत से दोस्ती बढ़ाने के सवाल पर उन्होंने कहा, ”क्या अमेरिका भारत के परमाणु संपन्न होने या फिर सैन्य ताकत होने के कारण करीब जा रहा है। नहीं, यह लोगों की ताकत है और उनकी लोकतांत्रिक परंपराएं है जिसके कारण ऐसा हो रहा है। यदि हमें प्रतिस्पर्धा करनी है तो इस आधार पर करनी चाहिए।” उन्होंने साथ ही कहा कि अफगान जिहाद में पाकिस्तान का शामिल होना गलती था। हिना ने कहा, ”60 सालों में हमने हमारे बच्चों को सिखाया कि किसी से घृणा करना ही हमारी राष्ट्रीय पहचान है। और हम पड़ोस के देशों के साथ ऐसा कर रहे हैं। पहले हमने भारत के साथ ऐसा किया और अब अफगानिस्तान के साथ ऐसा कर रहे हैं।”