New Delhi: आम आदमी पार्टी जब से राजनीति में आई है तब से उसने कई तरह के उतार चढ़ाव देंखे हैं ।पार्टी में आंतरिक राजनीतिज्ञ के तौर पर केजरीवाल को भले ही नुकसान झेलना पड़ा हो, लेकिन बतौर पार्टी लीडर Arvind Kejriwal ने अन्ना के मंच से उतर कर पीछे नहीं देखा।
आम आदमी पार्टी की पहचान करीब 3.5 साल पुरानी है। 26 नवंबर 2012 को आम आदमी पार्टी का गठन हुआ था। पहली बार दिल्ली की सत्ता के लिए अपनी दावेदारी पेश की। तो लोगों ने नजरअंदाज किया। अनुभवहीन पार्टी बताकर ज्यादा तवज्जों नहीं दी लेकिन अपने पहले ही चुनाव में केजरीवाल ने बीजेपी और कांग्रेस को इस बात का एहसास करा दिया कि कमजोर समझना बचपना होगा।
49 दिन बाद जब Arvind Kejriwal ने सीएम पद से इस्तीफा दिया तो भी विरोधियों ने छोटी रेस का घो़ड़ा करार देते हुए किनारा किया। लेकिन अगले ही विधानसभा चुनाव में केजरीवाल ने खुद का करिश्मा दिखा दिया। बीच में Arvind Kejriwal को लोकसभा चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा था लेकिन उस हार को भी दिल्ली चुनावों के दौरान Arvind Kejriwal ने अपने पक्ष में कर लिया था। आम आदमी पार्टी को देखते हुए इस बात के कयास तो लगाए जा रहे थे कि आम आदमी पार्टी अब क्षेत्रिय दल नहीं रह गई है लेकिन एक सर्वे में सामने आया है कि केजरीवाल एंड टीम एनडीए और यूपीए के बाद तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। वीडीपी एसोसिएट्स नाम की पोलिंग एजेंसी कंपनी का सर्वे की रिपोर्ट कुछ ऐसा ही बता रही है।