शिमला: अंजुम आरा ने पढ़ाई पूरी करने के बाद आईपीएस बनने की इच्छा अपने पिता को बताई तो उन्होंने बेटी अंजुम की हौसला अफजाई की और उसे वह सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जो उसका सपना साकार कर सकें। बात यहीं खत्म नहीं होती अंजुम जहां आईपीएस की तैयारी कर रही थीं तो उधर उनके परिवार के बाकी सदस्य इससे खुश नहीं थे।रिश्तेदारों को तो उसका घर से निकलना तक गंवारा नहीं था।
अंजुम कहती हैं कि उनके परिवार में आज भी पर्दा प्रथा (बुर्का) जारी है।कड़ी मेहनत और लगन से 2011 में उनका चयन आईपीएस के लिए हो गया। आज अंजुम शिमला में एएसपी की पोस्ट पर तैनात हैं। वह अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपने पिता को देती हैं।इससे पहले मुंबई की सारा रिकावी ने पहली मुस्लिम महिला आईपीएस बनने का गौरव हासिल किया था।आईपीएस अंजुम आरा का जन्म लखनऊ के आजमगढ़ के छोटे से गांव कम्हरिया में हुआ।अंजुम के पिता अयूब शेख अभियंत्रण सेवा में कार्यरत है। जबकि माता गृहिणी हैआरा
अंजुम ने सहारनपुर के आर्य कन्या इंटर कालेज से हाईस्कूल व एचआर इंटर कालेज से इंटर की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके बाद वह लखनऊ के एक इंजीनियरिंग कालेज से बीटेक की प्रथम श्रेणी में डिग्री हासिल की।कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने आईपीएस के 2011 बैच की परीक्षा पास कर लक्ष्य को हासिल किया।अंजुम आरा की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उन्हें मणिपुर कैडर मिला।कुछ समय वहां नौकरी करने के बाद उनकी तैनाती हिमाचल की राजधानी शिमला में बतौर एएसपी हुई है।