नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश राजेंद्र सच्चर ने आज यहां आरडब्लूए की ओर से तैयार किए गए पुस्तकालय के उद्घाटन समारोह में कहा, इस क्षेत्र में शिक्षा के लिए पुस्तकालय इतने देर से क्यों खोला गया जबकि हजरत साहब ने तो सबसे पहला शब्द पढ़ (इक़रा) कहा था। फिर आप लोगों ने इतना समय क्यों लगाया यह मेरे समझ में नहीं आता।
उन्होंने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हर धर्म में नारी ( महिला ) का सम्मान है लेकिन जितना सम्मान इस्लाम धर्म में है उतना किसी और धर्म में नहीं है बल्कि हमारे हिन्दू धर्म में भी नहीं है, आज महिलाओं को समाज में जो सम्मान मिला है वह इस्लाम की वजह से ही मिला है और यह जभी संभव हुआ जब शिक्षा आया। उन्होंने कहा कि हमारे धर्म में महिलाओं के संबंध में जो कानून था या है उसका उल्लेख करना आसान नहीं है। उन्हों ने कहा जो धर्म इतना क्रांतिकारी हो इस में शिक्षा के संबंध में अल्लामा इक़बाल रिसोर्स सेंटर खोलने में देर हो जाए तो सही नहीं है। उन्होंने कहा कि खैर आज यहां जो भी हुआ अच्छा हुआ लेकिन इसे आगे बढ़ाया जाए।
राजेंदर सच्चर ने कहा कि पहले ज़माने में लोगों को पढ़ने नहीं दिया जाता था उस की सबसे बड़ी वजह यह थी कि जो पूंजीपति लोग थे उन्हें खतरा था कि यही लोग अगर पढ़ लिख लेंगे तो कल को हमारे खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे, लेकिन समय बदला लोगों में शिक्षा के प्रति जागरूकता पैदा हुई और लोग शिक्षा की ओर आए। उन्होंने कहा इस्लाम ऐसा धर्म है जिस में सब कुछ गुंजाइश है। उन्होने कहा आज मुसलमानों को घबराने की ज़रूरत नहीं है और न ही उन्हें किसी के सामने देशभक्ति साबित करने की ज़रूरत है, वीर अब्दुल हमीद और ब्रिगेडियर उस्मान जैसे सैकड़ों लोग आदर्श रहे हैं।
वाज़ह रहे कि आज दिल्ली के जामिया नगर ओखुला के अबुल फज़ल डी ब्लाक में आरडब्लूए के सामुदायिक केंद्र में अल्लामा इक़बाल रिसोर्स सेंटर पुस्तकालय खोला गया जिसका उद्घाटन राजेंद्र सच्चर ने किया। यह सेंटर आई इंडिया और आर डब्लूए के अधीन चलायाजाए गा। इस मौके से आरडब्लूए और आई इंडिया के जिम्मेदार मौजूद थे। अंजुम ने आई इंडिया का परिचय कराया और कहा की जब तक युवावों में तालीमी बेदारी नहीं पैदा होगी तबतक देश का विकास संभव नहीं है।
अंत में आरडब्लूए के अध्यक्ष प्रोफेसर एन यू खान ने राजेंद्र सच्चर का धन्यवाद करते हुए कहा कि हमारे अंदर एकता नहीं है इसलिए हम किसी भी उद्देश्य या कार्य में सफल नहीं होते, उन्हों ने कहा आज हम में से कोई भी व्यक्ति किसी भी अच्छे कार्य के लिए कदम उठाता है तो लोग कदम उठाने से पहले ही उसे दबाने और गुमराह करने की कोशिश कर ने लगते हैं लेकिन जो करने वाला होता है वह आँख बनद करके करता है। बता दें की इस काम के लिए आर डब्ल्यू ए की टीम ने किताबों को इकट्ठा करने का काम किया है उसमें प्रोग्राम कोर्डिनेटर इकबाल अहमद, महासचिव अब्दुल वाहिद खान, उपअध्यक्ष अतहर अज़ीज़, कमाल अहमद और उनके साथी हाजी मशूद उर्फ़ मसुश्ताक़ शामिल हैं।