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हाजी अली के लिए कोर्ट का फैसला आने के बाद दरगाह आला हज़रत से जारी हुआ फरमान, कहा महिलाये दरगाह की मज़ार पर नहीं जाये

बरेली: बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को मुंबई की हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी हटा दी। कोर्ट का फैसला आने के बाद बरेली की मशहूर दरगाह आला हजरत का कहना है कि हजरत अली ट्रस्ट कोर्ट में अपना पक्ष सही से नहीं रख पाई। दरगाह के मौलवियों ने मुस्लिम परिवारों से कहा है कि वह महिलाओं को दरगाह की मजार पर जाने से मना करें। दरगाह के मौलवियों का कहना है कि पैगंबर मोहम्मद ने महिलाओं को मजार और कब्र जाने से मना किया हुआ है।

आला हजरत दरगाह में 19वीं शताब्दी के अहमद रजा खान का मकबरा है। इस दरगाह में महिलाओं और पुरुषों के नमाज अदा करने की जगह अलग-अलग है। महिलाओं के लिए बनी जगह अंदरुनी मजार से अलग है। दरगाह आला हजरत के मौलवी मौलाना अहसान रजा कादरी ने कहा, ‘महिलाओं का मजार और कब्र पर जाना शरीयत के खिलाफ है। मैं मुस्लिम माताओं और बहनों से अपील करता हूं कि वो दरगाह में मत जाएं। साथ ही मैं मुस्लिम वकीलों से अनुरोध करता हूं कि वह यह केस सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से उठाएं।’

दरगाह के प्रवक्ता का कहना है कि हाजी अली ट्रस्ट के के लोगों ने कोर्ट में अपना पक्ष शरीयत को समझाते हुए नहीं रखा है। उन्होंने कहा, ‘हम ट्रस्ट के वकीलों से बरेलवी आंदोलन के संस्थापक अहमद रजा खान की किताब ‘मजरत पर औरतों की हाजिरी’ पढ़ने को कहूंगा। किताब मे उन्होंने कुरान का जिक्र करते हुए कहा है कि औरतों का मजारों पर जाना पाप है। हम हाई कोर्ट के फैसले अवमानना नहीं कर सकते इसलिए यह जिम्मेदारी मुस्लिम परिवारों की है कि वह महिलाओं को मजार में जाने से मना करें।’

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