पटियाला: एक मामला पटियाला से सामने आया है। यहां नेशनल हैंडबॉल प्लेयर पूजा ने सिस्टम और कुछ हैवान लोगों से परेशान होकर खुदकुशी कर ली। इतना ही नहीं उसने मरने से पहले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खून से लेटर भी लिखा।पूजा ने हॉस्टल की फीस न दे पाने के कारण और कोच से परेशान होकर खुदकुशी कर ली। 3720 रुपए फीस न देने पर कोच ने हॉस्टल में कमरा देने से मना कर दिया था।
पूजा का सुसाइड नोट बरामद हुआ है। इसमें खून से नरेंद्र मोदी के लिए कुछ बातें लिखी हैं। फिलहाल कोच फरार है। अच्छी परफाॅर्मेंस के बेस पर 20 साल की पूजा को कॉलेज में दो दिन पहले ही एडमिशन मिला था। मौत से पहले पूजा ने सात पेज का सुसाइड नोट लिखा है। इसके ऊपर खून से पीएम मोदी के लिए कुछ बातें लिखी हैं और कोच पर परेशान करने का आरोप लगाया है। पूजा ने लिखा है कि एक तो काफी मुश्किल से एडमिशन मिला। इसके बाद जब हॉस्टल की बात आई तो कोच ने चक्कर कटवाए, फिर कमरा देने से मना कर दिया। पूजा का आरोप है कि जब उसने अन्य लोकल लड़कियों को हॉस्टल में कमरा मिलने की बात कही तो कोच ने उसे उल्टा-सीधा कहा।
हैंडबॉल प्लेयर पूजा ने लिखा कि हॉस्टल न मिलने से कॉलेज आने-जाने में रोजाना 120 रुपए खर्च आ रहा था, जो हमारे परिवार के लिए मुश्किल हो गया था। अपने परिवार को गरीब और असहाय बताते हुए मोदी से इंसाफ की मांग की है। पूजा ने लिखा है कि मेरा सपना आर्मी में जाना था। लेकिन, कई लोगों की वजह से मेरी पढ़ाई खराब हो रही थी। जिसके घर में 3 बेटियां हों, वह व्यक्ति पूरी कोशिश करता है कि बेटी पढ़े। लेकिन, कुछ अमीर लोग कभी आगे नहीं बढ़ने देते। ‘श्री मोदी जी! ये न हो कि ऐसे ही हम जैसी बेटियां गरीबी और पढ़ाई न मिलने के कारण मरती रहें। ‘नमस्ते पापा! ये आखिरी नमस्ते है। इसका कारण हैं गिल सर। उनकी गलती की वजह से ही मैं आत्महत्या करने जा रही हूं।’ पिता प्रभु चौहान और माता लक्ष्मी ने बताया कि उनकी बेटी पूजा राष्ट्रीय स्तर की हैंडबॉल खिलाड़ी थी। वह एनआइएस में प्रेक्टिस करने जाती थी। पिछले साल उसे खालसा कॉलेज में फिजिकल एजुकेशन में दाखिला मिला। कॉलेज ने उसे फ्री हॉस्टल की सुविधा दी थी लेकिन इस बार उसे सेकेंड ईयर में हॉस्टल देने से मना कर दिया गया। प्रभु ने आरोप लगाया कि पूजा कहती थी कि प्रोफेसर हॉस्टल देने के बदले एक लाख रुपये मांगता है। प्रभु चौहान ने बताया कि पिछले 25 साल से वह परिवार के साथ न्यू महिदरा कालोनी में रह रहे हैं। वह सब्जी बेचने का काम करते हें। परिवार की आर्थिक हालत भी अच्छी नहीं है।