नई दिल्ली: 2000 रुपये के नए नोटों को वापस लेने का फैसला लिया जा सकता है ऐसा कहना है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचारक एस. गुरुमूर्ति का. गुरुमूर्ति ने एक निजी न्यूज चैनल को बताया कि 2000 के नए नोट केवल मांग-आपूर्ति के बीच की खाई को पाटने के लिए जारी किए गए हैं.
उन्होंने कहा कि बैंकों से कहा जाएगा कि 2,000 रुपये के नोटों को वह अपने पास रखें और उसके बदले में छोटे नोट प्रदान करें. आरएसएस समर्थित थिंक टैंक विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन (वीआईएस) के महत्वपूर्ण सदस्य गुरुमूर्ति ने कहा, “निश्चित तौर पर बैंकों से कहा जाएगा कि एक बार जब 2,000 रुपये के नोट उनके पास आ जाएं, तो वह उसे ग्राहक को वापस नहीं करें. धीरे-धीरे बैंक 2,000 रुपये को नोटों को एकत्रित कर लेंगे और उन्हें छोटे नोटों से बदल देंगे.”
उन्होंने कहा कि सरकार 2,000 रुपये के नोटों का विमुद्रीकरण नहीं, बल्कि चरणबद्ध तरीके से उन्हें चलन से बाहर करेगी. गुरुमूर्ति ने कहा, “अतीत में हम इसी तरह कई सीरिज के नोटों को चलन से बाहर कर चुके हैं.” उन्होंने कहा कि सरकार छोटे नोटों को चलन में बनाए रखने के प्रति कटिबद्ध है.
गुरुमूर्ति की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब सरकार कालेधन पर लगाम लगाने के लिए 1,000 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण की बात कह रही है, दूसरी तरफ उसने 2,000 के नोट जारी किए हैं, जो उसके रुख के प्रति विरोधाभास पैदा करता है. सरकार की ओर से तो इस पर कोई जवाब नहीं आया, मगर आरएसएस के विचारक ने सफाई दे दी है.
बता दें कि एस गुरुमूर्ति ने केंद्र सरकार के नोटबंदी के कदम को ‘वित्तीय पोखरण’ जैसा करार दिया है और कहा कि इससे अर्थव्यवस्था में ऐसे बदलाव की उम्मीद है जो एक उदाहरण बनेगा. उन्होंने कहा कि इस निर्णय से जमीन जायदाद की कीमतों में गिरावट की शुरुआत होगी और पारदर्शिता को बढावा मिलेगा.
नोटबंदी को ‘वित्तीय पोखरण’ बताते हुए गुरुमूर्ति ने कहा कि जब लोगों के पास अधिशेष पैसा होता है तो उनमें ऐसी वस्तुएं खरीदने की इच्छा जागती है जिनकी जरूरत नहीं होती और इस तरह से ‘गैर जिम्मेदाराना और ह्रदयविहीन खर्च’ को बढ़ावा मिलता है. नोटबंदी से बड़ा बदलाव आएगा.
उन्होंने कहा, ‘जिस तरह से पोखरण से सोच में बुनियादी बदलाव आया. कौन सोचता था कि अमेरिका, भारत के बारे में सोचेगा. अगर हमने परमाणु परीक्षण नहीं किया होता तो वे आपकी तरफ देखते ही नहीं…’ गुरुमूर्ति ने कहा कि जिस तरह से पोखरण के बाद भारत में बुनियादी बदलाव आया और लोगों की उसके प्रति सोच बदली उसी तरह ‘वित्तीय पोखरण‘ से भी बुनियादी बदलाव आएगा लेकिन इसे समझने, गणना करने व लोगों को इसके बारे में समझाने के लिए बहुत अलग सोच समझा की जरूरत है.
उल्लेखनीय है कि भारत ने 1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षण किए थे और देश उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया जिनके पास परमाणु हथियारों की क्षमता है. वहीं नोटबंदी की घोषणा इस साल 8 नवंबर की रात को की गई जिसके तहत 1000 व 500 रपये के तत्कालीन नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को ‘एतिहासिक प्रबंधकीय भूल’ बताया है. गुरुमूर्ति ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का यह कदम इसलिए उठाया है ताकि संप्रग सरकार द्वारा 2004 के बाद की गई ‘अर्थव्यवस्था की बड़ी प्रबंधकीय भूलों’ को दूर किया जा सके.