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500 और 1000 के पुराने नोट से बन रहे हैं हार्डबोर्ड

तिरुअनंतपुरम: जबसे 500 और 1000 के नोट बंद हुए हैं तबसे बैंकों में आठ लाख करोड़ रुपये जमा किये जा चुके हैं. ऐसा सिर्फ 3 हफ्ते में हुआ है. इन नोटों को जलाने के बजाय रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया(आरबीआई) की केरल राज्य शाखा ने इन नोटों को रीसाइकिल करने का तरीका खोज निकाला है. आरबीआई इन पुराने नोटों को एक कंपनी को बेच रही है जो हार्डबोर्ड बनाती है. इस कंपनी का नाम ‘द वेस्टर्न इंडिया प्लाईवुड्स लिमिटेड’ है. यह कंपनी अपनी फैक्ट्री में इन पुराने नोटों को रीसाइकिल करेगी.

तिरुअनंतपुरम से लगभग 466 किलोमीटर दूर स्थित वर्ष 1962 में स्थापित इस फैक्टरी को ये पुराने नोट टुकड़े-टुकड़े करने के बाद दिए जाते हैं, जो इन्हें लुगदी में तब्दील कर देती है. फिर 95 फीसदी लकड़ी की लुगदी के साथ पांच फीसदी नोटों के काग़ज़ की लुगदी को मिलाकर हार्डबोर्ड बनाया जाता है.

द वेस्टर्न इंडिया प्लाईवुड्स लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर पीके मयान मोहम्मद ने कहा, “शुरुआत में यह हमारे लिए आसान नहीं था… नोटों का काग़ज़ काफी मज़बूत होता है, और आसानी से रीसाइकिल नहीं हो पाता… लेकिन हमारे इंजीनियरों ने शोध किया, नया तरीका तलाशने की कोशिश की, और आखिरकार कामयाब रहे… अब हम न सिर्फ लागत कम रखकर नोटों के काग़ज़ की लुगदी बना सकते हैं, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होने देते… सो, मैं इस फैसले से खुश हूं…”
पिछले तीन सप्ताह में फैक्टरी को लगभग 80 टन टुकड़े-टुकड़े किए जा चुके नोट मिल चुके हैं.

द वेस्टर्न इंडिया प्लाईवुड्स लिमिटेड के जनरल मैनेजर पीएम सुधाकरण नायर ने बताया, “पहले आरबीआई इन नोटों को सिर्फ जला रहा था, और अब हम इन्हें इस्तेमाल कर पा रहे हैं… हमें इन पुराने नोटों से बनी लुगदी की मात्रा (प्रतिशत) का बहुत ध्यान रखना होता है, क्योंकि यदि वह गलत हो गया, तो अंत में तैयार होने वाला प्रोडक्ट बिल्कुल खराब हो जाएगा…”