लखनऊ: हम आपको बता दें कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने सर्वसम्मति से केंद्र सरकार की प्रस्तावित तीन तलाक कानून को खारिज कर दिया है जो अगले सप्ताह लोकसभा में पेश किया जाना है। अंग्रेजी समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, बोर्ड के सचिव, हैदराबाद की मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, ने कहा कि बोर्ड ने पाया है कि बिल महिला विरोधी है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारी समिति ने लखनऊ के दारूल उलूम में तीन तलाक विधेयक पर एक आपात बैठक हुई 20 वरिष्ठ सदस्य शामिल हैं। हैदराबाद से सांसद, असदुद्दीन ओवैसी भी बोर्ड अध्यक्ष मौलाना राबे हसन नादवी के तहत आयोजित होने वाली बैठक का हिस्सा हैं। कार्यकारी समिति के महिला सदस्य डॉ. असम जोहरा और दिल्ली से मजीद भी बैठक का हिस्सा हैं। बैठक समाचार लिखे जाने तक जारी थी।
पत्नी का रखरखाव कैसे किया जाएगा?
बोर्ड ने तत्काल ट्रिपल तालाक के खिलाफ भी सहमति जताई है और इससे सहमत हैं कि इसके खिलाफ एक मजबूत कानून होना चाहिए और इसके लिए वरिष्ठ मौलवियों के साथ परामर्श किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ,’विधेयक महिलाओं के खिलाफ है जिसका मतलब है कि कोर्ट तलाक के बाद पति द्वारा महिलाओं और बच्चों के लिए रखरखाव की बात करता हैं लेकिन इसके विरोधाभास में तीन साल की जेल है। जब पति जेल में होगा तो पत्नी का रखरखाव कैसे किया जाएगा?’
बिल से महिलाएं और बच्चे प्रभावित होंगे
उन्होंने कहा, ‘हम औपचारिक रूप से अपनी बात समीक्षा करने सरकार के पास भेज देंगे। फिर हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने की कोशिश करेंगे।’ रहमानी ने कहा कि बोर्ड ने सर्वसम्मति से सहमति व्यक्त की है कि विधेयक संविधान के अनुच्छेद 25 में हस्तक्षेप करता है जो धार्मिक स्वतंत्रता देता है और एससी के फैसले के खिलाफ भी है जिसमें तीन तलाक के खिलाफ कानून मांगा गया है, लेकिन इस बिल से महिलाएं और बच्चे प्रभावित होंगे।
तीसरे व्यक्ति का हस्तक्षेप
एआईएमपीएलबी सचिव ने यह भी कहा कि बिल के भीतर भी अगर कोई तीसरा व्यक्ति पुलिस के पास तीन तालाक के मामले में शिकायत कर रहा है तो पति के खिलाफ मामला तय होसकता है, भले ही पत्नी खुद अपने पति के खिलाफ मामला ना दर्ज कराए।
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