आपको यह जानकर काफी हैरानी होगी कि देश की राजधानी दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी की राजनीति में भूचाल आ गया है. हम आपको बता दें कि यह मामला दिल्ली विधानसभा में हुआ एक घटनाक्रम से जुड़ा हुआ है.
आम आदमी पार्टी पर कई लोग भारतीय जनता पार्टी की बी टीम होने का आरोप लगाते रहते हैं. यह आरोप कल सच में बदलता दिखा.
भाजपा के नक्शे कदम पर आप
भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह दिन रात नेहरु गांधी परिवार के खिलाफ जहरीले बयान देते हैं और साजिश रचते रहते हैं.
संघ परिवार और भाजपा हर समय गांधी नेहरु परिवार के चरित्र हनन की कोशिश में लगे रहते हैं. ऐसी ही कोशिश शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी ने की.
संघ के इशारे पर केजरीवाल का कुकर्म
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने संघ के इशारे पर अपने एक विधायक से दिल्ली विधानसभा में यह प्रस्ताव पेश कराया कि चूंकि 1984 के सिक्ख विरोधी दंगे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में हुए थें, इसलिए उनका भारत रत्न वापस ले लेना चाहिए. बस, फिर क्या था, आम आदमी पार्टी में भूचाल आ गया. हालांकि ये प्रस्ताव सिर्फ पेश हो सका, कुछ विधायकों के विरोध के बाद बात आगे नहीं बढ़ सकी.
विधायक का इस्तीफा, कांग्रेस को दे सकती हैं समर्थन
इसके बाद आम आदमी पार्टी की चर्चित विधायक अलका लांबा ने ट्वीट करते हुए कहा कि मेरी पार्टी के दो विधायकों ने दिल्ली विधानसभा में जो यह प्रस्ताव लाया है, मैं उसके समर्थन में नहीं हूं. मेरे विचारों से पार्टी सहमत नहीं है, इसलिए मैं आम आदमी पार्टी और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे रही हूं.
अल्का ने कहा कि केजरीवाल को राजीव जी का अपमान महंगा पड़ेगा. राजीव जी ने इस देश की एकता और अखंडता के लिए कुर्बानी थी. इसके साथ ही आम आदमी पार्टी ने अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता सोमनाथ भारती की भी छुट्टी कर दी है.
निष्कर्ष:
इस देश में भारतीय जनता पार्टी को चुनौती देने वाली एक ही पार्टी है और वह है कांग्रेस. इसके अलावा आप किसी पार्टी का समर्थन करते हैं तो वह अप्रत्यक्ष रुप से भाजपा को ही समर्थन करना है. आम आदमी पार्टी हो या बहुजन समाज पार्टी, इन दोनों को समर्थन करना भाजपा को मजबूत करना और कांग्रेस को कमजोर करना ही है.