आपको यह जानकर काफी हैरानी होगी कि भारत में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम मशीन बनाम बैलट पेपर की बहस फिर तेज हो रही है। आपको बता दें कि यह तेजी अगले साल होने वाले आम चुनावों को देखते हुए बताई जा रही है।
विपक्षी दलों द्वारा खासकर काग्रेंस ने बैलट पेपरों के जरिए चुनाव कराने की मांग लगातार उठा रही है। ये मांग लगभग हर चुनाव के उठती रही है। सवाल ये है कि क्या बैलट पेपर से कथित चुनावी धांधुली पर अंकुश लगाया जा सकता है?
क्या वाकई सत्तारूढ़ पार्टी ईवीएम मशीन में हर चुनाव में गड़बड़ियां करती है?
आपको बता दे पहले बैलट पेपरों से चुनावों के समय भी फर्जी मतदान के आरोप बड़े पैमाने पर लगते रहे हैं। इन फर्जी मतदान पर अंकुश लगाने के लिए ही ईवीएम मशीन को अपनाया गया था. अभी तृणमूल कांग्रेस समेत 17 दलों ने चुनाव आयोग के साथ बैठक में अगले साल होने वाले आम चुनावों में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की बजाय बैलट पेपर से चुनाव कराने की मांग उठाई है।
इन सभी विपक्षी दलों ने ये आरोप भी लगाया है कि ईवीएम मशीन में लगभग हर चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी गड़बड़ियां करती हैं। उनकी दलील है कि इन फर्जीवाड़ा से बचने के लिए बैलट पेपर की ओर लौटना जरूरी है।
बात दे , हाल ही में उत्तर प्रदेश के निकाय चुनावों में ईवीएम मशीन में गड़बड़ी के कई आरोप समाने आए थे और ये आरोप कई विधानसभा चुनाव में भी लगते रहे है।
कोई भी बटन दबाओ , वोट बीजेपी के खाते , क्या से सच है?
जानकारी को अनुसार और कुछ मिडिया रिर्पोट् से ये पता लगा है कि मशीनों में वोटर चाहे कोई भी बटन दबाए, वोट बीजेपी के खाते में ही दर्ज होते थे। ऐसा कई बार देखने को भी मिला ही किसी प्रत्याक्षी को एक भी वोट ना मिला हो।
हालांकि चुनाव आयोग के अधिकारियों ने ईवीएम मशीन में तकनीकी गड़बड़ी की दलील देते हुए उनको बदल दिया था। लेकिन मुद्दा अभी भी जस का तस बना हुआ है।
बीते साल मार्च उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की भारी जीत के बाद भी ईवीएम से छेड़छाड़ के मुद्दे ने तुल पकड़ा था। पिछलो दिनों हुए युनिवर्सिटी चुनाव में मतगणना के दौरान ईवीएम ने जो किरकिरी कराई उसे चुनाव आयोग ने गंभीरता से लिया है। आयोग ने इस बाबत ईवीएम बनाने वाली कंपनियों को चिट्ठी भी लिखी है।
आपको बता दे जिन कंपनियों को चिट्ठी लिखी गई है वो भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रोनिक कारपोरेशन ऑफ इंडिया हैं। इन कंपनियों को दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
चुनाव आयोग की ईवीएम बनाने वाली दोनों निर्माता कंपनियों को दी गई हिदायत , क्या काम करेगी ?
चुनाव आयोग के सेक्रेटरी के दफ्तर से चिट्ठी भी भेजी गई है। जिसमें चुनाव आयोग ने ईवीएम बनाने वाली दोनों निर्माता कंपनियों को सख्त हिदायत दी है। और कहा है कि निर्वाचन आयोग और राज्य चुनाव आयोग के लिए बनाई जाने वाली मशीनों के मॉडल, रंग और अन्य डिजायन बिल्कुल अलग होने चाहिए।
चुनाव आयोग की ड्राफ्ट की प्रमुख बातें
आयोग को भेजी गई ड्राफ्ट रिपोर्ट में कई बाते सामने आई है उसमें कहा गया हैं कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में 10 लाख 60 हजार पोलिंग स्टेशनों का गठन किया जाएगा। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि चुनाव आयोग ने बाद में सूचना दी थी कि आने वाले चुनावों में 12.9 लाख बैलेट यूनिट्स, 9.4 लाख कंट्रोल यूनिट्स और करीब 12.3 लाख वीवीपीएटी (वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल मशीन्स अथवा पेपर ट्रेल मशीन्स) की कमी हो सकती है।
चुनाव आयोग के अनुसार ईवीएम जिसमें एक कंट्रोल यूनिट, एक बैलेट यूनिट और एक वीवीपीएटी शामिल होता है कि कीमत 33,200 रुपए है।
2034 तक आएगा इतना खर्च
ड्राफ्ट रिपोर्ट में चुनाव आयोग ने कई मुख्य बातों पर जोर दिया है उसमें ये भी कहा गया है कि ईवीएम की खरीद पर 4,555 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। आयोग के अनुसार एक ईवीएम की उम्र 15 साल होती है।
इस बात को ध्यान में रखते हुए ही विधि आयोग ने कहा है कि मौजूदा दरों के अनुसार 2024 में होने वाले चुनावों में 1751.17 करोड़ और 2029 में होने वाले चुनावों में 2017.93 करोड़ रुपये खर्च कर ईवीएम मंगाए जाएंगे।
आगे ये भी कहा गया है कि 2034 में होने वाले चुनाव में 13,981.58 करोड़ रुपए ईवीएम पर खर्च किए दा सकते है। चुनाव आयोग ने ये भी बताया है कि ईवीएम पर होने वाले सभी खर्चे को मौजूदो दरों के हिसाब से ही तय किया गया है।
क्या ईवीएम को हैक करना इतना आसान हैं ?
लगातार ईवीएम को लेकर कई खब़रे सुनने को मिली उसके बाद अमेरिका में बाक़ायदा डेमो देकर बताया गया कि वोटिंग मशीन यानि EVMs को हैक करना कितना आसान है और उसे कितनी आसानी से है किया जा सकता है ? वीडियो को देख कर अंदाज़ा लगा सकते हैं की ब्लूटूथ और वाईफाई की मदद से किस तरह ईवीएम की मशीन को हैक किया जा सकता है और शायद कई जगह ऐसा भी किया जा रहा हो।
कई जगह विपक्षी दलों ने आरोप भी लगाए है। विडियो में आप बिल्कुल साफ देख सकते हैं की एक व्यक्ति कैसे सब के सामने कुछ कोड की मदद से यह पता लगा ले रहा है की कोनसा ईवीएम कहाँ है और फिर उस कोड की मदद से उस ईवीएम मशीन को हैक कर के उसको अपने अनुसार चलाना शुरू कर दे रहा है।
आप नेता ने भी दिया था हैकिंग का डेमो
ऐसा पहली बार देखने को मिला है कि खुलेआम किसी व्यक्ति ने इस चैलेंज को स्वीकार किया हो और उसे पूरा करके दिखा। आपको बता दे , दिल्ली विधान सभा में आप नेता ने ब्लू प्रिंट पर इसे समझाया था और यह बात भी कही थी कि इस मशीन को हैक करना मुश्किल नहीं है।
लेकिन एक ओर वीडियो आने से जिसमें हैकिंग से रिलेटेड सबकुछ बताया गया जरूर आँखे खोल दी हैं तो देखना यह होगा की पार्टियों का रिएक्शन इस पर कैसा होता है।
देखें विडियो:-
अमेरिका में बाक़ायदा डेमो देकर बताया गया कि वोटिंग मशीन यानि EVMs को हैक करना कितना आसान है ? 🙄 via @CNBC pic.twitter.com/uz8elJJKU7
— Samir Abbas (@TheSamirAbbas) September 24, 2018