जैसा कि आप सब जानते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी जी अब नहीं रहे. लेकिन उनकी कही गई बातों, उनके संस्मरणों को पूरा देश आज याद कर रहा है.
वाजपेयी जी वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जरा भी देखना पसंद नहीं करते थे. नरेंद्र मोदी की छिछोरी राजनीति से वो कभी भी इत्तेफाक नहीं रखते थें. वो तो उन्हें गुजरात के सीएम की कुर्सी से बेदखल करना चाहते थें.
1. वाजपेयी करते थे कांग्रेसी सरकारों की सराहना
अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद के पटल पर कहा था कि ये कहना पूरी तरह गलत होगा कि पिछली कांग्रेसी सरकारों ने देश के लिए कुछ नहीं किया.
50 सालों में देश काफी आगे हुआ है. देश ने तरक्की सीढ़ियां चढ़ी है. इससे कोई इंकार नहीं कर सकता कि भारत पहले की अपेक्षा मजबूत हुआ है.
2. विरोध करना देश के पुरुषार्थ पर सवाल उठाना होगा
वाजपेयी ने कहा कि चुनावी भाषणों में भी मेरे पास कहने के लिए और सरकार का विरोध करने के लिए बहुत सारी बातें रहती है लेकिन मैं ऐसा करने से परहेज करता हूं.
क्योंकि देश की पिछली सरकारों ने कुछ नहीं किया, ये कहना देश की जनता के पुरुषार्थ पर सवाल उठाना होगा.
3. मैं ऐसी राजनीति के खिलाफ
अपनी राजनीतिक जीत या हार के लिए मैं यह कह दूं कि कांग्रेस ने पिछले 50 सालों में देश के लिए कुछ नहीं किया या देश को बर्बाद कर दिया, ये देश के साथ गद्दारी होगी.
पंडित नेहरु से लेकर शास्त्री जी और इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी और नरसिम्हा राव ने भी देश को बनाने में अमूल्य योगदान दिया है.
4. मोदी को चाहते थे हटाना
गुजरात दंगों के दौरान तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी के कारनामों से वाजपेयी बेहद चिंतित थें. 2002 में जब लोग मर रहे थें जब नरेंद्र मोदी न्यूटन का सिद्धांत बांच रहे थें.
वाजपेयी इससे बेहद क्रोधित थें. उन्होंने सरेआम नरेंद्र मोदी की आलोचना कर डाली. उन्होंने मोदी को राजधर्म का पाठ पढ़ाया.
5. आडवाणी ने बचाया
अटल बिहारी वाजपेयी उस दौरान मोदी को धक्के मार कर भाजपा से बाहर का रास्ता दिखाने के मूड में थें. आडवाणी ने हस्तक्षेप कर वाजपेयी को समझाया और मोदी को बचाया.
अगर वाजपेयी को रोका नहीं गया होता तो मोदी आज कुछ महीनों के पूर्व सीएम होते.
6. आडवाणी भुगत रहे हैं फल
मोदी को बचाने का फल आज लाल कृष्ण आडवाणी भुगत रहे हैं. जिंदा में हीं उनका हाल मोदी ने वाजपेयी जैसा बना दिया है. भारत के राजनीतिक इतिहास में इतनी बेइज्जती किसी नेता की नहीं हुई,
जितनी आडवाणी की हो रही है. नरेंद्र मोदी के इशारे पर आडवाणी की दुर्गति कराई जा रही है. काश, आडवाणी ने उस समय मोदी को नहीं बचाया होता.
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निष्कर्ष :
वाजपेयी स्वस्थ रहते तो कभी भी मवालियों के हाथों अपनी पार्टी की कमान नहीं सौंपने देते.