ग़रीबी में और झुग्गी झोपड़ी में पली बढ़ी कोलकाता की आयशा नूर जिसकी उम्र 19 साल है और वह कराटे चैंपियन है और अंतरराष्ट्रीय मेडल भी जीत चुकी है. अमेरिका ने भी आयशा नूर की तारीफ की है. ग़रीबी और मिर्गी होने के बावजूद आयशा नूर ने हार नहीं मानी और कराटे की दुनिया में खूब नाम कमाया. आयशा नूर की इस कामयाबी से कोलकाता स्थित अमेरिका सेंटर काफी प्रभावित हुआ और आयशा नूर को मेडल देकर उनका मान सम्मान बढ़ाया.
आयशा के साथ ही उनके कोच मोहम्मद अली को भी सम्मानित किया गया। सेंटर में हुए कार्यक्रम में यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट के निदेशक मार्क व्हाइट ने आयशा और उनके कोच को सर्टिफिकेट व मेडल दे हौसला आफजाई की।
दक्षिण कोलकाता के पदोपुकुर स्थित झुग्गी बस्ती में गरीब परिवार में जन्मी आयशा ने 13 वर्ष की उम्र में पिता को खो दिया था। मां ने दर्जी की दुकान पर काम कर किसी तरह तीन लोगों के परिवार का गुजारा किया। आयशा को मिर्गी की बीमारी थी। गरीबी और बीमारी के बावजूद आयशा का हौसला पस्त नहीं हुआ।