तो चलिए अब बात करते हैं बेरोजगारी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की। हम आपको बता दें कि साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेरोजगारी को लेकर बड़े-बड़े वादे तो किए थे। लेकिन उन्होंने एक भी वादा पूरा नहीं किया है।
क्योंकि मोदी सरकार के लगभग 4 साल होने वाले हैं और इस समय देश की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है। भारत में विश्व के अन्य देशों के मुकाबले सबसे अधिक युवा है। लेकिन यहां रोजगार के अवसर लगातार घटते ही जा रहे हैं। सेंटर फॉर मोनिटरिंग इंडियन इकॉनमी की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में 2017 में केवल 0.5% नौकरियां ही बढ़ी हैं।
2 करोड़ नौकरियों का वादा हुआ फेल
इतनी बुरी स्थिति तब है जब देश में भाजपा की सरकार है। गौरतलब है कि साल 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था। शहरी क्षेत्रों में 2% नौकरियों में इजाफा हुआ है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में नौकरियां बढ़ने के बजाए 0.3% घट गई हैं वहीं कृषि क्षेत्र में आया संकट भी इसकी बड़ी वजह है।
विकास दर में गिरावट
आपको बता दें, कि हाल ही में सेंट्रल स्टैटिस्टिकल ऑफिस ने देश की विकास दर के आंकड़े बताते हुए कहा था कि कृषि क्षेत्र की विकास दर 2017-18 में 2.1% रहेगी जो की 2016-17 में 4.5% थी। ग्रामीण क्षेत्रों में ये हाल तब है जब देश के 64% श्रमिक वहां काम करते हैं।
नोटबंदी और जीएसटी से गई नौकरियां
आपको बता दें कि नोटबंदी और जीएसटी के कारण लोगों ने बड़ी संख्या में अपनी नौकरियां गवाई हैं। सरकारी आकड़ों के मुताबिक भी लगभग 15 लाख लोगों ने नोटबंदी और जीएसटी आने के बाद से नौकरियां गवाई हैं। इसमें से 40% शहरी क्षेत्रों में और बाकी अन्य ग्रामीण क्षेत्र में हैं।
दरअसल इसका मुख्य कारण बाजार में मांग की कमी है। विशेषज्ञों का कहना है कि नोटबंदी और जीएसटी के बाद से बाजार में मांग की भारी गिरावट देखी गई है। हाल ही में सीएमआईई ने बताया था कि साल 2017 में देश में नया निवेश 13 सालों में सबसे कम रहा है। मांग की कमी के कारण उद्योगपति या कम्पनियां निवेश नहीं कर रही हैं। निवेश ना होने की वजह से बाज़ार में रोजगार का संकट है।
आर्थिक परिषद ने भी दी सलाह
देश की आर्थिक परिषद् ने भी मोदी सरकार को रोजगार और किसान पर ध्यान देने के लिए सलह दी है। बुधवार को कैबिनेट के साथ मीटिंग के दौरान अर्थशास्त्रियों ने केंद्र सरकार को ये सलाह दी है।
परिषद् ने सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने, विशिष्ट कृषि उत्पादों के लिए जिला स्तर पर समूहों का विकास करने, फसल ज्यामिति को बदलने, और बाजारों के साथ किसानों को जोड़ने में सुधार करने की सलाह दी है। मीटिंग में मौजूद रहे अर्थशास्त्री एम गोविंदा राव ने कहा कि कृषि में अधिक निवेश की जरूरत है। साथ ही मार्केटिंग और संसाधनों पर भी ध्यान देना होगा।
गौरतलब है कि रोजगार सृजन और कृषि क्षेत्र का विकास करने में मोदी का प्रदर्शन कसौटी पर खरा नहीं उतरा है। केंद्र सरकार के आर्थिक परिषद् ने भी रोजगार और कृषि पर ध्यान देने की सलाह देकर इस बात पर ठप्पा लगा दिया है कि इन दोनों ही क्षेत्रों में सरकार का प्रदर्शन बहुत खराब रहा है।