हमारे देश भारत में ऐसे ऐसे काम होते हैं कि जिनके बारे में हम सोच भी नहीं सकते हैं| लेकिन समस्या यह है कि यह काम लगातार होते रहते हैं| आपको बता दें कि माल्या इन बैंक वालों से हज़ारों करोड़ रुपये लेकर भाग गया था और उसके ऊपर बैंक वालों का बस नहीं चलता है| गरीब किसानों और कमज़ोर लोगों पर ही इनका बस चलता है| यही कारण है कि बहुत से गरीब और कमज़ोर लोग आत्महत्या कर लेते हैं|
अभी एक ऐसा ही मामला सामने आया है जिसे जानकर आप भी यकीनन उदास हो जायेंगे| मामला यूपी के सीतापुर का है| यहाँ पर एक ओर तो सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहाँ किसान के कर्ज माफ़ की बातें करके वाहवाही बटोर रहे हैं वहीँ एक मासूम से 12 साल के बच्चे को उसके किसान पिता की मौत के बाद इस ग़म से उबरने तक न दिया गया और पिता का कर्ज चुकाने के लिए बैंक ने उसे नोटिस थमा दिया |
अब वो मासूम बाप के मरने का ग़म मनाये या फिर इस इतनी बड़ी रकम का बोझ इतनी सी उम्र में उठाये? बताया जा रहा है कि इस मासूम के पिता लालता प्रसाद ने 2005 में सहकारी बैंक से 52 हजार रुपये कर्जे के रूप में लिए थे लेकिन हालत खराब होने की वजह से वो इस रकम को जमा नहीं कर पाए जो ब्याज के साथ अब तकरीबन दो लाख हो गयी |
चूँकि लालता प्रसाद की हालत खस्ता थी तो वो चिंता से बीमार रहने लगे और बीमारी में ही मर गये | अभी घर वाले इस मौत के गहरे सदमे का मातम भी नहीं कर पाए और अभी 2 रोज पहले ही बैंक की तरफ से एक नोटिस लालता प्रसाद के बेटे के नाम आ जाता है कि वो कर्जे की रकम 2 लाख 6 हजार का भुगतान करें | इस नोटिस ने तो जैसे घर में कोई नया ही मातम पैदा कर दिया हो |
अभी तो इस मासूम सी जान को जो खुद पांचवी में पढ़ता है उसे खुद की फीस भरने तक के लाले पड़े हैं और ऊपर से घर की जिम्मेदारी, बड़ी बहन की शादी का जिम्मा तो अलग से है ही | ऐसे माहौल में ये नोटिस उस घर में वैसा ही था जैसे अमेरिका का परमाणु बम हिरोशिमा पर था | हालाँकि मामले की नजाकत को समझते हुए वहां की डीएम सारिका मोहन ने इस परिवार की हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया है और कहा है कि वो खुद बैंक की पालिसी पर नजर डालेंगी और अगर कहीं से कर्ज माफ़ी का कोई विकल्प होगा तो वो कर्ज माफ़ करवा देगीं |