देश में इन दिनों भाजपा विरोधी माहौल बना हुआ है. आम आदमी बीजेपी की जन विरोधी नीतियों से इस कदर गुस्सा है वो वोट देना तो दूर उन्हें देखना भी पसंद नहीं है.
खास कर जब से नोटबंदी और जीएसटी को बिना किसी पूर्व तैयारियों को आम जनता पर थोप दिया गया तब से आम भारतीय नरेंद्र मोदी से खार खाए बैठा है.
यही वजह है कि जब कहीं भी कोई चुनाव होता है तो जनता भाजपा की दुर्गति कर दे रही है.
मोदी के मुंह पर लगा तमाचा
जब भी कोई विरोधी पार्टी चुनाव हारती है तो नरेंद्र मोदी के स्वघोषित पुत्र और भाजपा के असभ्य प्रवक्ता संबित पात्रा उसे जनता का करारा तमाचा बताते हैं.
संबित पात्रा के ही शब्दों में जनता का लगातार तमाचा उनक पार्टी पर अब पड़ता जा रहा है.
एक एक करके भाजपा अपने सारे राज्य गंवाती जा रही है. उसे 01 लोकसभा सीट वाली त्रिपुरा जीतने की खुशी है और 36 लोकसभा सीटों वाले राज्य को गंवाने पर एक शब्द भी नहीं निकल पा रहा है.
नहीं मिली एक भी सीट
महाराष्ट्र जहां बीजेपी, शिवसेना के साथ सत्ता में हैं, वहां के पनवेल में कृषि उत्पादन बाजार समिति यानी एपीएमसी के 17 सीटों पर चुनाव हुए.
इसमें भाजपा एक भी सीट भी नहीं जीत सकी. सभी 17 सीटों पर कांग्रेस, एनसीपी का कब्जा हो गया. इतना ही नहीं शिवसेना के साथ लड़ने के बावजूद भाजपा वहां तीसरे नंबर पर चली गई.
कांग्रेस को अकेले मिल गई इतनी सीटें
एनसीपी जैसे अपने पुराने पार्टनर के साथ लड़ने वाली कांग्रेस को इस चुनाव में शानदार फायदा मिला.
कांग्रेस ने 15 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थें. ये सभी उम्मीदवार बड़े अंतर से चुनाव जीतने में कामयाब हो गए जबकि बीजेपी के अधिकांश उम्मीदवार जमानत गंवा बैठें.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी अपना किसान विरोधी और पूंजीवादी नीतियों से बाहर नहीं निकल पा रही है, जिस वजह से उसे ऐसा दिन देखना पड़ रहा है.