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इस जगह ट्राइबल काउंसिल के चुनाव में बीजेपी को मिली करारी हार, इस पार्टी ने हासिल की बड़ी जीत


आपको यह जानकर बेहद खुशी होगी कि बीजेपी को त्रिपुरा ट्राइबल काउंसिल के चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है. हम आपको बता दें कि त्रिपुरा में बीजेपी इंडिजिनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा के साथ मिलकर गठबंधन सरकार चला रही है.

त्रिपुरा के स्वायत्त जिला परिषद के इन चुनाव में एक नए संगठन द इंडीजिनियस प्रोग्रेसिव रीजनल एलायंस (TIPRA) ने जीत हासिल की है. उसने 28 में से 18 सीटें जीती हैं. बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को महज 9 सीटों पर जीत हासिल हुई है. बाकी सीटें निर्दलीयों के खाते में गई है.

हालांकि लेफ्ट और कांग्रेस जिन्हें पहले इन चुनावों में भारी बहुमत मिलता था, उन्हें इस बार एक भी सीट हासिल नहीं हो सकी. काउंसिल की अध्यक्षता त्रिपुरा के रॉयल प्रद्योत देब बर्मन कर रहे हैं, जिन्होंने सितंबर में नागरिकता कानून को लेकर पार्टी से मतभेदों के कारण प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था.

काउंसिल में 30 सीटें हैं, जिनमें से 28 पर चुनाव होता है और दो गवर्नर द्वारा नामित की जाती हैं. ये 30 सीटें त्रिपुरा की 20 विधानसभा सीटों पर फैली हैं. मई 2015 में हुए पिछले चुनाव में सीपीएम की अगुवाई वाले लेफ्ट गठबंधन ने सबका सूपड़ा साफ करते हुए 25 सीटें जीती थीं. जबकि 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी-आईपीएफटी के गठबंधन ने ट्राइबल काउंसिल वाले क्षेत्रों की 20 में से 18 सीटें जीती थीं.

लेकिन तीन साल बाद ही बीजेपी को करारा झटका लगा है. यहां चुनाव 6 अप्रैल को हुआ था. शुक्रवार को एक अज्ञात समूह ने टिप्रा के नेताओं और उनके उम्मीदवारों पर कथित तौर पर हमला किया था, जब वे मोहनपुर में सब डिविजनल मजिस्ट्रेट के कार्यालय गए थे.इस जगह मतगणना हो रही थी. वेस्ट त्रिपुरा के एसपी मानिक लाल दास ने कहा था कि टिप्रा के समर्थकों और कुछ अन्य लोगों के बीच झड़प हुई थी. लेकिन देब बर्मन पर हमला हुआ, ये हमारे संज्ञान में नहीं आया. वो अगरतला में अपने घर सुरक्षित पहुंच गए थे.

गौरतलब है कि त्रिपुरा में मुख्यमंत्री बिप्लब देब लंबे समय से आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं. कोरोना वायरस के दौर में कुप्रबंधन को लेकर भी उन पर निशाना साधा गया. बिप्लब देब अपने विवादित बयानों को लेकर भी कई मुश्किलों में घिर चुके हैं.

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