हम आपको बता दें कि देश की समूची राजनीति में उत्तर प्रदेश की सियासत की अहम भूमिका है। हम आपको यह भी बता दें कि देश का सबसे बड़ा राज्य होने के साथ ही यहां की सियासत भी ठीक उसी तरह की है।
यहां की राजनीति का इतिहास देख लिया जाए या फिर वर्तमान हर नजरीये से यह काफी मायने रखता है।
उत्तर प्रदेश की एक एक सीट राज्य की सियासत में है अहम
भारतीय राजनीति में मौजूद हर बड़ा नेता यह बात जानता है कि दिल्ली में प्रधानमंत्री की कुर्सी का रास्ता लखनऊ की मुख्यमंत्री पद से ही होकर जाता है। इस नजरीये से भी यहां की एक एक हुकूमत काफी अहम हैं। वहीं पिछले विधानसभा चुनावों में केंद्र की सत्ता पर काबिज बीजेपी की सरकार ने ही अपनी जीत दर्ज की थी।
विधानसभा चुनावों के बाद जब ईवीएम द्वारा कराए गए उपचुनाव
खबर आ रही है कि 2017 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में ईवीएम में गड़बड़ी की चलते बम्पर जीत हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी को इलाहाबाद में जिलापंचायत के सदस्य पद के लिए कराए गए उप चुनाव में बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा है।
जानें कितने भारी मतों से हारी बीजेपी
आपको बता दें कि, यूपी विधानसभा चुनावों के बाद बैलट पेपर के द्वारा कराए गए इस पहले ही उप चुनाव में बीजेपी की करारी हार हो गई हैं।
बहरिया प्रथम (करनाईपुर क्षेत्र) जिला पंचायत सदस्य पद के लिए हुए उपचुनाव में सपा-बसपा समर्थित विकास निगम ने बीजेपी पार्टी के समर्थित कमलेश धरिकार को 1400 मतों से धूल चटा दी है।
पूरी जानकारी के साथ आपको बता दें कि, सपा-बसपा समर्थित विकास निगम को 5589 और बीजेपी समर्थित कमलेश धरिकार को 4183 मत हासिल हुए हैं। वहीं, अपना दल (एस) समर्थित राजकुमार उर्फ डब्बू को इस उपचुनाव में महज 782 मत ही हासिल हो पाए हैं।
खाली हुई सीट पर कराए गए थे उपचुनाव
जिला पंचायत सदस्य रहे डॉ. जमुना प्रसाद के सोरांव का विधायक चुने जाने के बाद से ही खाली हुई इस सीट पर शनिवार को चुनाव कराया गया था। जहां मऊआइमा ब्लॉक के सिकंदर पुर में ग्राम प्रधान के उपचुनाव में चंदन पटेल ने राजकुमार को 75 मतों से हराया।
ईवीएम में धांधली का मुद्दा यूपी चुनावों के दौरान विपक्षा द्वारा जोर शोर से उठाया गया था। वहीं अब जब यूपी के ही किसी जिले में उपचुनाव के दौरान यह नतीजा आता है तो वाकई में यह सवाल उठाना बनता है कि क्या वाकई उत्तर प्रदेश के चुनावों के दौरान ईवीएम में कोई छेड़छाड़ की गई थी।