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जानिये आखिर क्यों बीजेपी सांसद सनी देओल की सदस्यता बचनी हुई बेहद मुश्किल


हम आपको बता दें कि 19 जून को पंजाब के गुरदासपुर से बीजेपी सांसद सनी देओल की संसद सदस्यता खतरे में पड़ गई थी। इसका कारण था कि उन्होंने चुनाव प्रचार में तय सीमा से ज्यादा खर्च किया था और अब चुनाव आयोग इसकी जांच कर रहा है।

अब जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक गुरदासपुर के जिला निर्वाचन अधिकारी ने चुनाव आयोग को जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें सनी देओल के खिलाफ लगे आरोप सही पाए गए हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक बॉलीवुड के ऐक्टर से लीडर बने सनी देओल ने चुनाव अभियान के लिए निर्धारित खर्च की 70 लाख रुपये की सीमा को क्रॉस किया है। गौरतलब है कि अगर चुनाव आयोग उन्हें चुनाव नियमों के तहत दोषी ठहरा देता है, तो उनकी संसद सदस्यता रद्द भी हो सकती है।

जांच रिपोर्ट में सनी देओल के खिलाफ क्या है?

खबरों के मुताबिक गुरदासपुर के जिला निर्वाचन अधिकारी विपुल उज्ज्वल ने पंजाब के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) एस करुणा राजू को जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें सनी देओल द्वारा चुनाव अभियान पर 78.51 लाख रुपये खर्च किए जाने की बात है।

जबकि, इसके लिए निर्धारित खर्च की सीमा सिर्फ 70 लाख रुपये है। यानी कि देओल ने तय सीमा से 8.51 लाख रुपये की रकम ज्यादा खर्च किए। गौरतलब है कि रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल ऐक्ट,1951 के सेक्शन 123 (6) के तहत यह गड़बड़ी चुनाव के भ्रष्ट गतिविधियों में आती है और इस आधार पर सांसद को उसकी सदस्यता के अयोग्य भी ठहराया जा सकता है।

माना जा रहा है कि पंजाब के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) इस रिपोर्ट को सोमवार तक चुनाव आयोग में आगे की कार्रवाई के लिए भेज देंगे।

सुनील जाखड़ ने तय सीमा में किए खर्च

गुरदासपुर में सनी देओल ने कांग्रेस के उम्मीदवार सुनील जाखड़ को 82,459 वोटों से हराया था। लेकिन, उन्होंने चुनाव प्रचार पर सिर्फ 61,36,058 रुपये खर्च किए, जो कि निर्धारित रकम से लगभग 9 लाख रुपये कम हैं।

गुरदासपुर के बाकी सभी उम्मीदवारों ने भी चुनाव खर्च की सीमा का पालन किया है। पिछले महीने ही ज्यादा खर्च की बात उठने पर डिस्ट्रिक्ट रिटर्निंग ऑफिसर ने देओल को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था।

अगर उनकी सदस्यता इस चक्कर में चली जाती है, तो चुनाव आयोग उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी सुनील जाखड़ को निर्वाचित घोषित कर सकता है। गौरतलब है कि जाखड़ पंजाब कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष थे, जिन्होंने अपनी हार के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

प्रतिनिधि की नियुक्ति पर भी हुआ विवाद

गुरदासपुर सीट पर भाजपा ने इसबार इसलिए सनी देओल को चांस दिया था, क्योंकि इस सीट से एक और पूर्व अभिनेता विनोद खन्ना 2014 के लोकसभा चुनाव तक सांसद चुने गए थे। लेकिन, उनके निधन के चलते हुए उपचुनाव में बीजेपी को यह सीट गंवानी पड़ी और तब कांग्रेस के जाखड़ ने इसपर कब्जा कर लिया था।

 

इससे पहले गुरदासपुर लोकसभा क्षेत्र के कामकाज को देखने के लिए देओल ने गुरप्रीत सिंह पलहेड़ी को अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया था। कुछ लोगों ने इसपर भी विवाद खड़ा करना शुरू कर दिया था। बाद में देओल ने फेसबुक के माध्यम से सफाई दी थी कि उन्होंने अपने पीए को गुरदासपुर ऑफिस में प्रतिनिधि बनाया है, ताकि अगर वो गुरदासपुर से बाहर रहें, तो भी क्षेत्र के लोगों को कोई दिक्कत न हो।