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पिछले पांच सालों में काम न करना मोदी सरकार को पड़ गया महंगा, एमसीएमसी रिपोर्ट के अनुसार 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को करना पड़ेगा हार का सामना

बीजेपी के गुजरात में 88 फीसदी चुनावी ऐड हैं जबकि कांग्रेस के मात्र 12 प्रतिशत। यह जानकारी चुनाव आयोग ने साझा की है। चुनाव आयोग के मुताबिक, टेलिवीजन, रेडियो, सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों पर बीजेपी के 88 फीसदी चुनावी ऐड हैं।

सभी दलों के चुनावी ऐड पर निगरानी और उन्हें मंजूरी देने वाली चुनाव आयोग की मीडिया प्रमाणन एवं निगरानी समिति (एमसीएमसी) के मुताबिक, 22 अप्रैल तक उन्हें 200 चुनावी विज्ञापन की अर्जी प्राप्त हुई हैं। इनमें 173 बीजेपी की तो 27 कांग्रेस की है।

द प्रिंट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, समीति ने 127 विज्ञापनों को ही मंजूरी दी है जिनमें 112 बीजेपी के तो मात्र 15 कांग्रेस के हैं। इतनी बड़ी स्तर पर चुनाव विज्ञापन से ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी गुजरात में अपने प्रदर्शन को लेकर काफी चिंतित है।

वह भी तब जब गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य है। गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोशी ने बीजेपी के बड़े पैमाने पर विज्ञापनों द्वारा प्रचार करने पर कहा ‘बीजेपी पब्लिसिटी करने वाली पार्टी है और पीएम मोदी प्रचार मंत्री।

पीएम ने विज्ञापनों पर पहले ही करोड़ों खर्च कर दिए। अगर मोदी सरकार ने पांच सालों के दौरान कुछ काम किया होता तो उन्हें इस तरह विज्ञापनों पर पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती।’

गुजरात के शहरों में बीजेपी के विज्ञापनों में ‘अबकी बार फिर मोदी सरकार’ के स्लोगन के साथ सिर्फ पीएम मोदी की तस्वीरें छपी हुई नजर आती हैं। इतनी बड़ी संख्या में विज्ञापनों से साफ है कि मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार के खिलाफ किसानों और व्यापारियों के गुस्से को पार्टी भांप चुकी है।

गौरतलब है कि गुजरात में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी। पीएम मोदी के नाम पर भाजपा ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की उम्मीद में थी लेकिन पार्टी को कुल 182 सीटों में से सिर्फ 99 सीटों पर जीत हासिल हो सकी जबकि कांग्रेस को 80 सीटें मिली थीं।

बात करें 2014 के लोकसभा चुनाव की तो भाजपा ने राज्य की सभी 26 सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार पार्टी ने कम से कम 20 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। बता दें कि गुजरात में 23 अप्रैल को मतदान होगा।