जैसा कि आप सब जानते हैं कि हाल ही में मेघालय, त्रिपुरा और नागालैण्ड में हुए विधानसभा चुनावों के परिणाम ने सबको हैरान कर दिया. हम आपको बता दें कि जिस तरह गुजरात चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद अच्छा रहा ठीक उसी तरह मेघालय चुनावों में भी अध्यक्ष राहुल गांधी के नेत्रित्व में कांग्रेस पार्टी ने अपना कमाल का प्रदर्शन दिखाया.
मेघालय में हर बार की तरह कांग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में
उभरी
अगर मेंघालय के 2013 में हुए चुनावों पर नज़र डाले तो वहां भले ही कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाई थी. लेकिन बहुमत की 31 से 2 कम 29 सीट पाकर कांग्रेस उस वक्त भी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी.
ठीक उसी तरह 2018 के चुनाव में कांग्रेस को इस बार भी बहुमत नहीं मिला है, लेकिन बावजूद इसके इस बार भी कांग्रेस बहुमत की 31 से 10 सीट कम 21 सीट पाकर सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है.
कांग्रेस ने राज्यपाल को चिट्ठी भेजकर सरकार बनाने का दावा
पेश किया
जिसके चलते अब खबर है कि देर रात कांग्रेस ने राज्यपाल को चिट्ठी भेजकर सबसे बड़े दल के रूप में मेघालय में सरकार बनाने का दावा पेश किया है. गौरतलब है जिस वक्त राज्य में हुए चुनावों की मतगणना की जा रही थी उस वक्त दिल्ली से कांग्रेस के अहमद पटेल और कमलनाथ और भाजपा से हिमांता बिस्वाशर्मा अगरतला से शिलांग पहुंचे थे.
भाजपा 2 सीट लेने के बावजूद बनाना चाहती है सरकार
कांग्रेस की माने तो भाजपा के पास वोटों की पर्याप्त संख्या न होने से मेघालय में वो अपने दम पर सरकार नहीं बना सकती. जिसके बाद भाजपाई नेता हिमांता ने कहा कि..
“मेरा मानना है कि पार्टियां गैर-कांग्रेस सरकार बनाने के लिए एक साथ आएंगी.”
मेघालय विधानसभा की मौजूदा तस्वीर
चुनावों के परिणाम के अनुसार मेघालय में कांग्रेस 21 सीटें जीतकर राज्य में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, जबकि नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने भी 19 सीटें हासिल की.
राज्य में करीब 47 सीटों पर लड़ने वाली भाजपा के हाथों महज 2 ही सीटें आई. जबकि अन्य के खाते में भी 17 सीटें गई हैं जिनमें यूडीपी की छह, पीडीएफ की चार और एचएसपीडीपी को दो सीटें मिली.
मेघालय में सियासी उठापटक का खेल शुरू
बता दें कि कांग्रेस इस समय मेघालय में सत्तारूढ़ है, जिसके चलते फिल हाल मेघालय की सत्ता को पाने के लिए कांग्रेस किसी तरह की सुस्ती नहीं दिखाना चाहती है. अगर पहले की बात करे तो मेघालय में पिछले 9 सालों से कांग्रेस की ही सरकार है. ऐसे में अपने इस किले को बचाने के लिए कांग्रेस हरसंभव जतन करती नज़र आ रही है.
गोवा और मणिपुर हाथ से जाने के बाद अब मेघालय में कांग्रेस
नही लेना चाहती किसी तरह को जोखिम
जैसा पिछले साल देखने को मिला कि कांग्रेस दो राज्यों गोवा एवं मणिपुर में सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बावजूद शुरुआत में ही निष्क्रिय रही और वहां सरकारों के गठन में नाकाम रही ऐसे में कांग्रेस अब मेघालय को किसी भी कीमत में हाथो से नहीं आने देना चाहती.
निष्कर्ष
मेघालय में सरकार गठन के सभी मापदंडों पर विचार करने और अन्य पार्टियों के साथ समझौता करने के साथ बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए कांग्रेस ने अहमद पटेल और कमलनाथ को मेघालय भेज दिया है. ऐसे में अब देखना होगा कि राज्य में किसकी सरकार बनती है.