हम आपको बता दें कि इस साल हमारे देश में तकरीबन आठ राज्यों में इस साल विधानसभा चुनाव और अगले साल यानि 2019 में लोकसभा चुनाव को देखते हुए तमाम राजनीतिक पार्टियों में हलचल मची हुई है. हम आपको यह भी बता दें कि इन चुनावों को मद्देनज़र रखते हुए तमाम पार्टियां काफी सतर्क और मेहनत में जुट गई हैं.
इस समय अगर देखा जाए तो पूरे देश में मोदी लहर छाई हुई है और इस लहर को काबू करने के लिए हर विपक्षी पार्टी खुद को ज्यादा से ज्यादा मजबूत बना रही है. हम आपको बता दें कि जितनी भी विपक्ष पार्टियाँ हैं उनको साथ लाने का काम कोई और नहीं कर रहा है बल्कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और एनसीपी नेता शरद पवार कर रहे हैं.
इस साल का बजट आने के बाद ही शरद पवार ने सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर कुछ अहम बातें भी की थीं. हम आपको बता दें कि इस बातचीत के दौरान भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(भाकपा) के नेता डी राजा भी शामिल हुए थे और इन्होने आपस में काफी देर तक बातचीत की थी. इस बातचीत के दौरान मोदी सरकार की इन नीतियों का विरोध भी किया गया: एफडीआई के लिए रक्षा, खुदरा और नागरिक उड्डयन क्षेत्रों को खोलना.
सोनिया गांधी और राहुल गांधी से इतनी सारी बातचीत होने के बाद शरद पवार ने अगले दिन विपक्षी नेताओं की एक बैठक भी बुलाई थी. गुप्त सूत्रों से पता चला है कि संविधान बचाओ अभियान जिसकी शुरुआत शरद पवार ने की थी और देशव्यापी रणनीति बनाने पर भी जोर दिया गया.
कांग्रेस अब सभी विपक्षी दलों को बीजेपी सरकार के खिलाफ साथ लाने के लिए सोनिया गांधी के नाम पर आगे बढ़ रही है और पूरी कोशिश भी कर रही है. गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा ने विपशी दलों को एक साथ लाने का प्रस्ताव भी रखा है.
वैसे हम आपको बता दें कि कांग्रेस के नेताओं ने इस बात को साफ कर दिया है कि भले ही राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष हैं लेकिन पार्टी के सारे अहम और जरूरी फैसले सोनिया गांधी ही ले रही हैं.
हम आपको यह भी बता दें कि विपक्षी दलों को एक साथ लाने और गठबंधन करने में सोनिया गांधी अहम भूमिका निभा रही हैं. यह जो बैठक हुई थी इसमें इन विपक्षी पार्टियों ने हिस्सा लिया था: एसपी, डीएमके, टीएमसी और बीएसपी.