हम आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में सपा बसपा गठबंधन के फैसले के बाद अब कांग्रेस ने भी अकेले चुनावी समर में उतरने का फैसला कर लिया है.
इसका बात का ऐलान खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दुबई में अपने प्रेस मीट में इस बात का खुलासा किया, हालांकि यूपी में कांग्रेस के साथ कई छोटे दल गठबंधन को तैयार हैं लेकिन कांग्रेस ने फिलहाल अकेले ही चुनाव लड़ने की बात कह रही है लेकिन भविष्य की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता.
कांग्रेस की प्रेस कांफ्रेंस
यूपी कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर और प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने सपा बसपा गठबंधन के ऐलान के अगले दिन ही संवाददाता सम्मेलन का आयोजन कर अकेले सभी 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया, हालांकि नेताओं ने भविष्य की संभावनाओं के मद्देनजर किसी सेकुलर दल के साथ गठबंधन से इंकार नहीं किया.
2009 से दोगुनी सीटें जीतेंगे
संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि 2009 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को ऐसे ही कमतर आंकने की भूल हो चुकी है.
कांग्रेस को 15 सीटें ऑफर की गई थी और कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़कर 21 सीटों पर जीत हासिल कर ली थी. इस बार 2009 से दोगुनी सीटें कांग्रेस जीत कर दिखाएगी.
शिवपाल, कृष्णा, अजीत, अतीक भी आ सकते हैं साथ
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी सेक्युलर के मुखिया शिवपाल सिंह यादव ने कांग्रेस के साथ गठबंधन का प्रस्ताव दिया है जबकि अपना दल कृष्णा गुट भी कांग्रेस के साथ आ सकता है.
वहीं राष्ट्रीय लोक दल के मुखिया अजीत सिंह भी कांग्रेस के साथ गठबंधन में शामिल हो सकते हैं तो अल्पसंख्यक नेता अतीक अहमद भी कांग्रेस के साथ गठबंधन को इच्छुक दिखाई दे रहे हैं. वहीं यूपी में कांग्रेस की ओर से प्रस्तावित तीसरे मोरचे में वामपंथी दल भी शामिल हो सकते हैं.
अगर ये तीसरा मोरचा जमीन पर उतरता है तो यह भाजपा के साथ साथ समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बनेगा क्योंकि लोकसभा चुनाव में लोग राष्ट्रीय दलों को ही वोट करना चाहेंगे न कि क्षेत्रीय दलां को.