मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार स्वीकार कर ली। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करेगी। हमारे पास बहुमत नहीं है।
मैं राज्यपाल को इस्तीफा देने जा रहा हूं। उधर, मायावती ने मध्यप्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस को समर्थन देने की बात कही है।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 114, भाजपा को 109 सीटें मिली हैं। उधर, मंगलवार देर रात कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को पत्र लिखकर सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए मिलने का वक्त मांगा।
आगे क्या: सपा-बसपा कांग्रेस के साथ, पर फैसला राज्यपाल के हाथ
एके एंटनी बुधवार को पर्यवेक्षक के रूप में भोपाल पहुंचेंगे। यहां वे पार्टी के नव निर्वाचित विधायकों की बैठक में भाग लेंगे।
यह माना जा रहा है कि एंटनी दिल्ली से प्रस्तावित मुख्यमंत्री का नाम सहमति के लिए विधायकों के सामने रखेंगे। पार्टी में मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में प्रदेेशाध्यक्ष कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम उभर कर सामने आए हैं।
बहुमत का जादुई आंकड़ा छूने के लिए कांग्रेस ने बसपा और सपा से चर्चा की है। इसी के चलते कमलनाथ ने बसपा विधायकों से समर्थन प्राप्त करने पार्टी सुप्रीमो मायावती और सिंधिया ने सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव से चर्चा की।
कांग्रेस का दावा: चारों निर्दलीय हमारे साथ
कांग्रेस का दावा है कि चार निर्दलीय ठाकुर सुरेंद्र सिंह शेरा (बुरहानपुर), राणा विक्रम सिंह (सुसनेर), प्रदीप जायसवाल (वारासिवनी) और केदार चिदाभाई डावर (भगवानपुरा) कांग्रेस को समर्थन दे सकते हैं।
इन चारों प्रत्याशियों ने कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ा था। कांग्रेस को सपा के राजेश कुमार (बिजावर) और बसपा के संजीव सिंह (भिंड) और रामबाई गोविंद सिंह (पथरिया) का भी समर्थन मिल सकता है।
मध्यप्रदेश-राजस्थान में कांग्रेस का समर्थन करेंगे: मायावती
मायावती ने कहा- नतीजे दिखाते हैं कि छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में लोग पूरी तरह भाजपा और उसकी जन विरोधी नीतियों के खिलाफ हैं।
इसीलिए जनता ने विकल्प की कमी के चलते कांग्रेस को चुना। हम कांग्रेस की कई नीतियों का समर्थन नहीं करते लेकिन मध्यप्रदेश में हम उसका समर्थन करेंगे और जरूरत पड़ी तो राजस्थान में भी हम कांग्रेस को समर्थन दे सकते हैं।
ग्वालियर-चंबल, मालवा-निमाड़ में नुकसान
भाजपा को ग्वालियर-चंबल और मालवा-निमाड़ में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। दोनों अंचलों में भाजपा ने 40 सीटें गंवाईं।
इनमें से 38 कांग्रेस के पास गई हैं। 2 सीटें अन्य के खाते में आईं।
यहां एससी-एसटी और सवर्ण आंदोलन के अलावा किसान आंदोलन का भी बड़ा असर रहा। इसके अलावा एंटी इन्कम्बेंसी फैक्टर ने भी भाजपा का नुकसान किया।